
Indore Mukesh Mangal Column : मुकेश मंगल, इंदौर (नईदुनिया)। पुलिस मुख्यालय में पदस्थ डीजीपी और एडीजी स्तर के अफसरों में चल रहे मनमुटाव ने 103 निरीक्षकों की मुसीबत बढ़ा दी है। निरीक्षक से डीएसपी बनने का रास्ता दो महीने पहले साफ हो गया, लेकिन अहम की लड़ाई के चलत फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी। 68 निरीक्षकों की पहली सूची दो महीने पहले जारी होनी थी, जिनमें इंदौर के निरीक्षक भी शामिल हैं। एडीजी और आइजी स्तर के अफसर फाइल ले गए, लेकिन डीजीपी ने बाद में 'चर्चा करते हैं" बोलकर लौटा दी। ऐसा दो बार हुआ। सेवानिवृत्ति के मुहाने पर बैठे एडीजी को बात चुभ गई और फाइल एक तरफ पटक दी। इस नाराजगी का डीजीपी पर तो असर नहीं हुआ, लेकिन निरीक्षकों की सेहत बिगड़ गई। कुछ निरीक्षकों को पुराने प्रकरणों में आरोप पत्र मिल गए और डीएसपी का रास्ता बंद हो गया। कुछ निरीक्षकों के विरुद्ध जांचें बैठ गई।
पुलिस-खुफिया तंत्र की पोल खोल गई एनआइए
पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) पर छापे की खबर से सबसे ज्यादा पुलिस और विशेष शाखा व जिला विशेष शाखा के अफसर हैरान थे। पीएफआइ के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल करीम बेकरी, मोहम्मद जावेद और अब्दुल खालिद को एनआइए पकड़ कर ले गई और अफसरों को कानोंकान खबर तक नहीं हुई। खबर सिर्फ अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश हिंगणकर के जासूसों तक पहुंची और पुलिस मुख्यालय तक हड़कंप मच गया। बताया जाता है कि इस बार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने सिर्फ आतंक विरोधी दस्ता (एटीएस) की मदद ली। छापे के दो दिन पहले उन स्थानों की रैकी भी करवा ली, जहां से पीएफआइ नेताओं को उठाया जाना था। छापे के लिए कमांडो भी एटीएस से ही मांगे गए थे। हालांकि, मानसिक रूप से तैयार इंटेलिजेंस महीनों पहले ही पीएफआइ की तमाम गतिविधियों की रिपोर्ट मुख्यालय भिजवा चुकी थी। इसमें उन नेताओं का डाटा भी शामिल है, जिन्हें एनआइए पकड़ कर ले गई।
दद्दा लेंगे विजय नगर एसीपी का फैसला
पुलिस मुख्यालय और गृह मंत्रालय की खींचतान में विजय नगर एसीपी की कुर्सी खाली पड़ी है। एसीपी राकेश गुप्ता के सेवानिवृत्त होने के तीन महीने बाद भी पोस्टिंग पर फैसला नहीं हुआ है। गुप्ता 31 जून को सेवानिवृत्त हो गए और तब से परदेशीपुरा एसीपी भूपेंद्र सिंह ही प्रभार संभाले हुए हैं। शुरुआत में सिंह को ही विजय नगर पदस्थ करने की कवायद हुई लेकिन गृह मंत्रालय ने टांग अड़ा दी। सिंह डीजीपी खेमे के आदमी हैं। इसके बाद देवास जिले में पदस्थ रहे शेरसिंह भूरिया ने भी जुगाड़ जमाई, लेकिन शासन ने उन्हें बदनावर भेज दिया। गृह मंत्रालय ने तय कर लिया कि विजय नगर का एसीपी तो दद्दा यानी गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ही तय करेंगे। अंतत: लंबे समय तक दतिया जिले में पदस्थ रहे डीएसपी गहरवार के नाम मुहर लगा दी। गहरवार टीआइ से डीएसपी बने हैं और दद्दा के काफी करीबी हैं। हालांकि उनके सेवानिवृत्ति का समय भी करीब ही है।
अफसरों के गले की फांस बन गया पनीर
भमोरी स्थित जिस पब (रैग द बिस्ट्रो) के बाहर गोलियां चलीं, वह पुलिस और आबकारी अफसरों के लिए मुसीबत बना हुआ है। विजय नगर पुलिस तो इस पब के कारण नोट का जवाब और स्पष्टीकरण देती रहती है। इस बार आबकारी वाले भी उलझ गए। गोलीकांड के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने आबकारी अमले को फटकार लगाई और जांच करने भेज दिया। जिस दिन अमला पड़ताल करने पहुंचा, उसी दिन प्रभारी सहायक आयुक्त राजेश राठौर के पास एक वीडियो पहुंचा, जिसमें दो महिला और दो पुरुष अफसरों को दिखाया गया। आरोप लगाया कि अफसर छानबीन नहीं, बल्कि पब संचालक का पनीर खा रहे हैं। राठौर ने तत्काल जांच करवाई और सवाल-जवाब शुरू हो गए। महिला अफसर ने चिकित्सक के पर्चे दिखाए और कहा कि गंभीर बीमारी से जुझ रही हूं। दूध से बनी सामग्री प्रतिबंधित है। संतान सप्तमी का उपवास भी था। इसलिए खुद के रुपयों से खिचड़ी मंगवाई थी।