Indore News: 'यारियां 2' की टीम के साथ इंदौर पहुंचीं दिव्या खोसला कुमार, बोली- बहुत जिम्मेदारी की बात है कलाकार होना
Indore News: फिल्म यारियां 2 के कलाकारों ने शहर आकर किए अनुभव साझा।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 07 Oct 2023 03:08:13 PM (IST)
Updated Date: Sat, 07 Oct 2023 03:08:13 PM (IST)
अभिनेत्री दिव्या खोसला कुमार अपनी फिल्म 'यारियां 2' के प्रमोशन के लिए पर्व वी. पुरी और मीजान जाफरी के साथ इंदौर आईं। फोटो- प्रफुल्ल चौरसिया, आशुIndore News: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। जीवन में ‘कजिन’ (चचेरे-ममेरे भाई-बहन) का होना भी जरूरी है। कजिन ही होते हैं जिन्हें हम चुनते नहीं बल्कि उनका संबंध तो खून के रिश्ते से होता है और वे हमेशा साथ रहते हैं। दोस्त तो हम अपनी पसंद से बनाते हैं, जो अक्सर वे बिछड़ भी जाते हैं, लेकिन कजिन को हम बचपन से जानते हैं और कई बार तो उनके साथ हमारी दोस्ती भी बहुत गहरी हो जाती है। वे दोस्ती के रिश्ते ज्यादा खूबसूरती से निभाते हैं।
यह कहना है अभिनेत्री
दिव्या खोसला कुमार का, जो अपनी फिल्म '
यारियां 2' के प्रमोशन के लिए साथी कलाकार पर्व वी. पुरी और मीजान जाफरी के साथ शुक्रवार को शहर आईं। उन्होंने अपने प्रशंसकों से मुलाकात की और 56 दुकान पर इंदौरी जायके का भी आनंद लिया। मीडिया से हुई चर्चा में दिव्या ने बताया कि वे माडलिंग के क्षेत्र में करियर बनाना चाहती थीं, लेकिन बाद में अभिनय की दुनिया की ओर रुख कर लिया। जिंदगी में हर पल कुछ नया सीखने की चाहत इस मुकाम तक ले आई। दिव्या कहती हैं कि टी-सीरीज कंपनी परिवार की होने के नाते भी मैं यही कहूंगी कि जिंदगी में मनचाही मंजिल मिलना आसान नहीं है। यह जरूर है कि जब परिवार का सहयोग मिलता है, तो मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत मिलती है।
परिवार ने सिखाया धैर्य रखना और चुप रहना - मीजान जाफरी
मीजान जाफरी ने शुरू से ही अभिनय की दुनिया को करीब से देखा, पर पिता जावेद जाफरी ने उन्हें कभी अभिनय करने के लिए दबाव नहीं बनाया। मीजान कहते हैं कि जब मैंने इस इंडस्ट्री में आने का निर्णय लिया तो परिवार ने मुझे समझाया कि इस इंडस्ट्री में काम करने और बने रहने के लिए धैर्य रखना और चुप रहना सीखें। कलाकार की कही हर बात निर्देशक को पसंद आए, यह जरूरी नहीं। ऐसे में कलाकार के लिए समस्या बढ़ ही सकती है। मेरा मानना है कि कलाकार होना वाकई में बहुत जिम्मेदारी भरी बात है। मैं बस यही चाहता हूं कि जो कार्य करूं उसमें अपना शत-प्रतिशत दूं।
30 दिन गोलगप्पे ही खाए, नौ दिन रहा भूखा- पर्ल वी पुरी
पर्ल वी. पुरी अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि वे जब परिवार की मर्जी के विरुद्ध अभिनय की दुनिया में किस्मत आजमाने मुंबई आए थे, तब इतने पैसे भी नहीं थे कि भरपेट भोजन कर सकें। तब 30 दिन तक एक वक्त केवल गोलगप्पे ही खाए, वह भी उधारी में। एक बाह बाद भी जब पैसे की व्यवस्था नहीं हुई, तो नौ दिन भूखा रहना पड़ा। इसके बाद विज्ञापन करने के लिए जो मुझे पैसे मिले थे, उससे उधार चुकाया और आगे बढ़ा। टीवी सीरियल में अभिनय के बाद यह पहली फिल्म मुझे मिली और इसके लिए मुझे अपना वजन बढ़ाना था। मैं मानता हूं कि स्क्रीन पर अच्छा दिखने से ज्यादा अच्छी प्रस्तुति देना ज्यादा महत्वपूर्ण है। मेरा विश्वास मेहनत पर ही बाकी तो अपने आप मिल जाता है।