Indore News : इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जीएसटी लागू होने के बाद से बोगस बिलों से फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने के मामले देशभर में लगातार पकड़े गए हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआइसी) ने सर्कुलर जारी कर ऐसे मामलों के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इनके मुताबिक फर्जी बिल के मामले में टैक्स और ब्याज की देयता नहीं आएगी, सिर्फ पेनाल्टी देनी होगी। जीएसटी विशेषज्ञ सीए सुनील पी जैन ने बुधवार को इंदौर के कर विशेषज्ञों के बीच नए प्रविधानों की समीक्षा करते हुए यह बात कही।
बुधवार शाम मप्र टैक्स ला बार एसोसिएशन और कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (सीटीपीए) ने जीएसटी कानून में हुए ताजा बदलावों को लेकर कार्यशाला रखी थी। विशेषज्ञ वक्ता के तौर पर सीए सुनील पी जैन ने जीएसटी के नए नियमों और संशोधन के असर की व्याख्या की। माहेश्वरी भवन में आयोजित कार्यशाला में 200 से अधिक कर सलाहकार व एडवोकेट मौजूद रहे। जैन ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति दूसरे व्यवसायी को बोगस बिल जारी करता है। इस बिल के आधार पर आइटीसी भी हासिल की जाती है तो चूंंकि ऐसे मामले में माल या सेवा की आपूर्ति नहीं की गई, इसलिए टैक्स और ब्याज की देयता नहीं बनती। सिर्फ धारा 122 की पेनाल्टी लगेगी। यदि ऐसे मामले में दूसरा व्यक्ति फर्जी आइटीसी हासिल करता है, लेकिन आगे तीसरे व्यवसायी को वास्तविक आपूर्ति कर देता है तो मामले में आइटीसी की वसूली तो हो सकेगी लेकिन धारा 122 के अधीन 20 हजार से ज्यादा की पेनाल्टी नहीं लग सकेगी।
ई-इनवाइस जारी करना जरूरी - जैन ने कहा कि तीसरी तरह के मामले में यदि तीनों व्यापारियों में सिर्फ फर्जी बिल ही जारी कर आइटीसी ले ली गई तो 20 हजार की पेनाल्टी के साथ बिलों में लगाए गए टैक्स के बराबर की राशि पेनाल्टी के रूप में ली जा सकेगी। कार्यशाला में ला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन लखोटिया ने कहा कि 20 करोड़ से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को ई-इनवाइस जारी करना जरूरी हो गया है लेकिन अब भी 250 से अधिक करदाता ऐसा नहीं कर रहे हैं। इन पर पेनाल्टी लगाने की कार्रवाई कभी भी हो सकती है। कार्यशाला में सीटीपीए अध्यक्ष केदार हेड़ा ने भी संबोधित किया।
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