Indore News : इंदौर। महाकवि कालिदास ने अपनी रचना मेघदूतम में जिस गंभीरा नदी का उल्लेख किया है वह कहीं और नहीं, बल्कि इंदौर के समीप ही है और इन दिनों उस पर बने बांध का एक हिस्सा अपनी खूबसूरती के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बात हो रही है गंभीर नदी के बैकवाटर में बनने वाली कमल के फूलों की घाटी अर्थात गुलावट की।
गंभीरा नदी जिसे आज गंभीर नदी के नाम से जाना जाता है, उसके पानी को रोककर शहर के पश्चिमी भाग में जलप्रदाय के लिए तुकोजीराव होलकर (तृतीय) ने जिस बांध का निर्माण कराया, उसे यशवंत सागर नाम दिया। बांध तो पानी की आपूर्ति के लिए बना था, लेकिन अनजाने ही इसके बैकवाटर ने एक अलग ही खूबसूरत दुनिया रच दी। गुलावट में कमल के खिलते फूलों की दुनिया यानी लोटस वैली। इंदौर से करीब 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह एक ऐसा पर्यटक स्थल है, जो सबसे कम वक्त में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ। अब तो यहां पर्यटन विभाग भी पर्यटकों की सुविधा और सुरक्षा को देखते हुए विशेष तैयारियां कर रहा है।
यहां पहुंचने पर दूर तक गंभीर नदी का पानी, उसमें खिले गुलाबी, सफेद कमल और आसपास सघन हरियाली दिखाई देने लगती है। कभी सारस की अटखेलियां तो कभी प्रवासी पक्षियों का कलरव कुल मिलाकर ऐसा माहौल जिसमें प्रकृति अपनी खूबसूरती लुटाने पर आतुर और उसके आनंद में गोता लगाते पर्यटक। यह स्थान जितना खूबसूरत है उतना ही सुकूनभरा है यहां पहुंचने का मार्ग। शहरी धूल-धुएं और शोर शराबे से दूर गांव के बीच से होकर यहां पहुंचा जा सकता है। कच्चे-पक्के मकानों को देखते हुए गांव में बसे भारत को यहां महसूस किया जा सकता है। इंदौर से हातोद होते हुए गुलावट गांव पहुंचने पर यहां एक ओर गुलावट तथा नदी के दूसरे छोर पर गुरदाखेड़ी गांव है। स्थानीय प्रयासों से यह स्थान सुरम्य हो गया है।
हर उम्र को रास आता यह स्थान
यह एक ऐसा पर्यटक स्थल है जो वर्तमान में हर उम्र के लोगों को पसंद आ रहा है। गांव की स्मृतियों को संजोए बुजुर्गों को यहां के गांव, सादगी पसंद आती है तो प्रकृति प्रेमियों को यहां की आबो-हवा रास आती है। शहरों की दौड़-धूप से ऊब चुके युवा यहां सुकून तलाशते हैं तो फोटोग्राफी केशौकीनों के लिए यह स्वर्ग है। यूं तो यहां वर्ष भर पर्यटकों की आवाजाही लगी रहती है, लेकिन बरसात की विदाई से जेठ की तपन के पहले तक का मौसम यहां आने के लिए माकूल है। अलसाई भोर से दोपहर शुरू होने के पहले यदि आप यहां आ गए तो खिले हुए कमल को भी देख सकते हैं। यही नहीं यहां से कमल के फूल और पौधे भी आप ला सकते हैं।
पिकनिक स्पाट के रूप में उभरा स्थान
वर्तमान में यहां घुड़सवारी, झूले और चप्पू के सहारे चलने वाली पारंपरिक नाव का आनंद यहां लिया जा सकता है। फूलों से सजे झूले और साइकिल पर बैठ लोग फोटो लेते हैं तो प्रीवेडिंग फोटोशूट के लिए भी यह स्थान रास आने लगा है। खानपान की छोटी-छोटी दुकानें भी अब यहां लग चुकी हैं और बच्चों के खेलने के लिए तो यहां मैदान है ही। यहां हनुमान मंदिर भी है जो आसपास के रहवासियों के बीच आस्था का बड़ा केंद्र है। मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक एनके स्वर्णकार के अनुसार पर्यटकों की सुविधा को देखते हुए यहां सुविधागृह और लोक परिवहन के साधन शुरू करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। पिकनिक स्पाट के रूप में उभरे इस स्थान को और भी बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा।