
Ved Pratap Vaidik Died: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। विदेश नीति के जानकार और देश के ख्यात पत्रकार वेदप्रताप वैदिक का मंगलवार को गुड़गांव में निधन हो गया। घर में नहाते समय वे बाथरूम में गिर गए जिससे उनको चोट लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें नहीं बचाया जा सका। परिवार में पुत्र सुपर्ण वैदिक और बेटी डा. अपर्णा वैदिक हैं। उनकी पत्नी डा. वेदवती का निधन पहले ही हो चुका है। वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को इंदौर के उषागंज में हुआ था। इंदौर में भंवरकुआं क्षेत्र में भोलाराम उस्ताद मार्ग पर वैदिक सदन में उनके भाई और परिवार के अन्य सदस्य रहते हैं।
डा. वैदिक देश के अग्रणी पत्रकारों में शामिल थे। विदेश नीति के जानकार थे। खास तौर पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल सहित अरब देशों में उनके काफी मित्र थे। वे हिंदू महासभा, जनसंघ और आर्य समाज से जुड़े रहे। उनकी मित्रता गांधीवादियों और समाजवादियों से भी रही। देश और विदेश में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने काफी काम किया। वे रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के भी अच्छे जानकार थे।
उन्हाेंने न्यूयार्क, मास्को और अफगानिस्तान के नामी संस्थानों में अध्ययन और शोध कार्य किया। वैदिक के मित्र और वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग का कहना है कि वे अंग्रेजी के घोर विरोधी रहे। उन्होंने हिंदी को आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया। उन्होंने हाल ही में भारतीय विदेश नीति परिषद का गठन किया था। सार्क देशों को लेकर भी बड़ा काम कर रहे थे और इन देशों के प्रतिनिधियों को लेकर संगठन बनाया। वे विदेश नीति के विद्वान थे और कई किताबें लिख चुके हैं।
उन्होंने देश के लिए काफी काम किया। वे पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव के भी नजदीक रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी से भी उनकी नजदीकी रही है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने पड़ोसी देशों से बातचीत में वैदिकजी का उपयोग किया करते थे। मौजूदा सरकारें चाहतीं तो उनके विदेश नीति के ज्ञान, प्रतिभा और संपर्कों का उपयोग कर सकती थीं, लेेकिन नहीं किया गया। उनका निधन मध्यप्रदेश और इंदौर ही नहीं, देश के लिए बड़ी क्षति है।