Indore News: इंदौर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। हम जानते है झूठा नहीं बोलना है लेकिन झूठ बोलते हैं। हमें पता है क्रोध करना अनुचित है, लेकिन क्रोध करते हैं। हम सब विपरित परिस्थितियों में विचलित हो जाते हैंं, जबकि हम जानते हैं विचलित नहीं होना है। सवाल उठता है कि कैसे झूठ नहीं बोलें, क्रोध नहीं करें और विपरित परिस्थितियों विचलित न होंं तो इसका उत्तर मिलता है प्राचीन ग्रंथ विज्ञान भैरव की गूढ़ तकनीक में जिसमें शिव-पार्वती के संवाद हैं।
इसमें बताई गई 112 में 20 तकनीक के जरिए ईश्वर अनंत के परिचय से आगे अनुभव आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने रविवार को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर स्कीम नंबर 78 में कराया। शिव-पार्वती के संवाद और ध्यान की चुनिंदा विधियों के प्रयोग से देश- प्रदेश से आए हजारों साधकों का अनंता का अनुभव कर तन-मन आनंद और उल्लास से भर गया।
दो सत्रों में कई बार ऐसा समय भी आया जब उल्लास इतना बढ़ गया कि साधक खड़े होकर झूमने लगे। काल भैरव अष्टक के दौरान जब खचाखच भरे हाल में तीन-तीनकर पांव की थाप दी जा रही थी तो यह रिदम अनूठी अनुभूति करा रहा था।
3 और दो घंटे के दो सत्रों में आनंद, खुशी और उल्लास का त्रिवेणी संगम नजर आया। श्रीश्री ने ध्यान के गूढ़ तकनीक को लेकर शिव-पार्वती के बीच हुए संवाद को समझाते हुए कहा कि एक बार पार्वती ने शिवजी से कहा कि मैं आपका सच से उपर का रूप देखना चाहती हूं। आपका एक रूप है जिसमें आप दिख रहे हो और दूसरा निराकार रूप जो दिखता नहीं है।
तब भगवान शंकर बोले कि मेरा सच्चा स्वरूप वही है कि शिवजी कैलाश में बैठे हैं। कैलाश यानी आनंद और केवल उल्लास है । जहां कैलाश है वहां केवल मस्ती ही मस्ती है। शिवजी पहाड़ पर बैठे हैं ऐसा नहीं है। शिवजी कहते हैं कि मेरा कोई रूप नहीं है अरूप है, मैं सब जगह व्याप्त हूं।
ऐसे तोड़ा पार्वती का संशय
उन्होंने कहा कि पार्वती का संशय यही है कि शिवजी एक जगह है तो सब जगह कैसे हो सकते हैं और जब सब जगह हो सकते हैं और हो तो वे रूप में कैसे आ सकते हैं, यह सब भम्र था। तब शिवजी कहते है कि मैं ये भी और वो भी हूं। मैं रूप भी हूं और अरूप भी। गुरुजी ने अनुयायियों से पूछा आप रूप हैं या अरूप हैं। फिर कहा मन का कोई चेहरा है क्या, शरीर का चेहरा अवश्य है। शरीर रूप से आप हैं लेकिन आपका मन विस्तार में है। यह रहस्य भेद है।
ध्यान के जरिए बताया हमें कहां जाना है
श्रीश्री ने कहा कि गुरु के पास अज्ञानी बनकर जाओ और उन्हें ज्ञानी जानो। शिष्य का पहला लक्षण मैं कुछ नहीं जानता और दूसरा चुनौती के लिए तैयार रहना है। शक्ति को खो देना बुढ़ापे के समान है। पशु बलि रोकना चाहिए। इसकी जगह पशुता की बलि देने की आवश्यकता है। प्रयोग बताते हुए कहा कि माता पार्वती ने शिव से कहा प्रभु आप इतने सुंदर लग रहे हो खोपड़ियों की माला पहनकर। गुरुदेव ने अनुयायियों से पूछा कि खोपड़ी डेंजर का सिम्बाल है कि नहीं, सावधान…।
गुरुदेव ने एक उदाहरण से समझाया कि अकसर लोग एक-दूसरे से किसी मामले में बात करते हैं। कहते हैं कि मुझे नहीं मालूम। ऊंचे से ऊंचे वैज्ञानिक से पूछो कि हमें कहां जाना है तो कहेगा पता नहीं। इसे उन्होंने ध्यान के जरिए समझाया।
स्वस्थ्य इंदौर के लिए 10 हजार लोग करेंगे योग, रुद्र पूजा भी
महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा योग मित्र कार्यक्रम सुबह 6.30 बजे दशहरा मैदान पर सुबह 6.30 बजे आयोजित किया जाएगा।इसके लिए 50 हजार वर्गफीट का डोम बनाया गया है।इसके साथ ही खुले मैदान में भी ग्रीन कारपेट बिछाया गया है। सभी के लिए आयोजन स्थल पर पानी की व्यस्था की गई है, लेकिन योग करने वाले अपने साथ मैट लेकर आएंगे। पानी बोतल भी ला सकते हैं। योग के बाद 8 बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वर्चुअल जुड़ेंगे। मंच से लगा 200 फीट का रैम्प भी बनाया गया है। इसके माध्यम से श्रीश्री भक्तों को दर्शन देंगे।