
Indore News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। स्वास्थ्य को लेकर दुनिया की सबसे बड़ी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इंदौर के एक डाक्टर से मार्गदर्शन मांगा है। यह मार्गदर्शन भारतीय पारंपरिक चिकित्सा को लेकर है। ये डाक्टर हैं डा. मनोहर भंडारी, जिन्होंने पारंपरिक चिकित्सा पर कई शोध पत्र लिखे हैं। इनके कई शोध पत्र राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित व चर्चित भी हुए हैं।
डब्ल्यूएचओ ने डाक्टर भंडारी के शोध व अनुभव को देखते हुए ही पारंपरिक चिकित्सा के प्रथम वैश्विक सम्मेलन में आमंत्रित किया। यह सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पारंपरिक चिकित्सा पर जोर देने के बाद डब्ल्यूएचओ ने गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया। डा. भंडारी को यहां शिक्षा संस्थान न्यास नईदिल्ली के प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया। साथ ही इस सम्मेलन में 90 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
डा. भंडारी ने बताया कि विश्व के अधिकांश देशों की स्वास्थ्य समस्याओं और विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की पुनर्प्रतिष्ठा करना बहुत जरूरी है। हम जिस माटी में पैदा हुए हैं, उस माटी में उत्पन्न औषधियां हमें स्वस्थ रखने में सक्षम होती हैं। साथ ही स्थानीय रूप से उत्पन्न होने वाली औषधियां स्थानीय रोगों का शमन करने में भी सक्षम हैं। इसके अलावा सामान्य रूप से होने वाली व्याधियों के उपचार में प्रयुक्त औषधियां घरों और आसपास ही सहजता से उपलब्ध हो जाती हैं। इनका दुष्प्रभाव भी नहीं होता। विश्व स्वास्थ्य संगठन अब इस बात को गहराई से समझता है। यही वजह है कि डा. भंडारी से पारंपरिक चिकित्सा के अनुभव डब्ल्यूएचओ ने जाने हैं।
नईदुनिया सिटी से चर्चा में डा. भंडारी बताते हैं, पुराने समय में घरेलू उपचार मशहूर था। आज के समय में लोग छोटी-छोटी बीमारियों के लिए भी अस्पताल पहुंच जाते हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। पहले जब तक कोई व्यक्ति गंभीर बीमार नहीं होता था, तब तक अस्पताल नहीं जाता था। उस दौर में लोग घरेलू नुस्खों पर भरोसा करते थे और ज्यादा बीमार होते तो वैद्य के पास चले जाते थे। उन्हें परंपरागत चिकित्सा पर विश्वास था।
डा. भंडारी ने बताया कि बाद में लोगों को आधुनिक चिकित्सा पर भरोसा होने लगा। पारंपरिक चिकित्सा पर षड्यंत्रपूर्वक भरोसा खत्म किया गया। किंतु आधुनिक चिकित्सा के दुष्परिणाम सामने आने पर आज दुनिया दोबारा पारंपरिक चिकित्सा पर विचार कर रही है। इसी के चलते घरेलू उपचार और पूरब चिकित्सा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गुजरात में यह वैश्विक परिसंवाद हुआ।