
Indore Police: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। इंदौर में आयुक्त प्रणाली के बाद सिस्टम कुछ हद तक मजबूत हुआ है। अफसरों में कार्य विभाजन होने से मानिटरिंग का असर भी नजर आ रहा है। यही वजह है कि अतिसंवेदनशील शहर इंदौर में 11 महीने में एक भी दंगा फसाद नहीं हुआ। इंटेलिजेंस ने पिछले 11 महीने में साठ से ज्यादा बार दंगे रोके है। कई मौकों पर शहर में उपद्रव फैलानी की कोशिश हुई लेकिन पुलिस ने पहले ही असफल कर दिया।
इंदौर-भोपाल में 9 दिसंबर 2021 से आयुक्त प्रणाली की शुरुआत हुई थी। इंदौर में आइजी हरिनारायणाचारी मिश्र और भोपाल में एडीजी मकरंद देउस्कर को कमान सौंपी। आयुक्त एक साल होने पर प्रणाली की समीक्षा कर रहे हैं। इसी दौरान इंटेलिजेंस ने बताया कि इंदौर में खुफिया तंत्र काफी मजबूत हो गया है। कई बार हिंदू-मुस्लिम समूदाय के लोगों की आमने सामने होने की स्थिति बनी थी। फितरती लोगों ने दंगे की योजना बनाई थी, लेकिन इंटेलिजेंस ने पहले ही काबू कर लिया।
आयुक्त प्रणाली में इंदौर में 65 हत्या, पिछले साल से 21 ज्यादा
इंदौर। आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद भी इंदौर में अपराधों में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। शहर में हत्या और हत्या की कोशिश के मामले बढ़ गए। चोरी, वाहन चोरी और लूट के मामलो में हल्की कमी आई है। पुलिस का दावा है कि ज्यादातर हत्या तत्काल विवाद, पति-पत्नी के विवादों के कारण हुई है।
अपराध - वर्ष 2021 - वर्ष 2022
हत्या - 44 - 65
हत्या की कोशिश - 78 - 81
डकैती - 06 - 0
डकैती की तैयारी - 35 - 54
लूट - 48 - 29
चेन लूट - 30 - 27
गृहभेदन - 550 - 519
साधारण चोरी - 594 - 610
वाहन चोरी - 3056 - 2769
दुष्कर्म - 601 - 626
जोन-1 में सबसे ज्यादा हत्या के मामले - हत्या के मामलो में जोन-1 सबसे आगे है। एरोड्रम और राजेंद्र नगर में ज्यादा घटनाएं हुई हैं। आजाद नगर में तो सिरफिरे ने मासूम बच्ची को दुष्कर्म के लिए अगवा कर चाकू से कत्ल कर दिया था। तीन दिन पूर्व विद्या पैलेस में हुई वंदना रघुवंशी की हत्या की गुत्थी भी अभी तक नहीं सुलझी है।
आयुक्त प्रणाली के बाद कम होना चाहिए अपराध - गत वर्ष 9 दिसंबर को आयुक्त प्रणाली लागू हुई थी। पूर्व-पश्चिम एसपी के स्थान पर चार जोनों में शहर बंटा और चार डीसीपी (एसपी) की नियुक्ति हुई। डीसीपी के पास सिर्फ आठ थानों का दायित्व रह गया। आयुक्त के पास प्रतिबंधात्मक और जिलाबदर के अधिकार आ गए। इसके बाद भी हत्या और हत्या की कोशिश में कमी नहीं आई।
इंटेलिजेंस भी बनाती है रिपोर्ट - आयुक्त प्रणाली के बाद इंटेलिजेंस विंग भी बनाई गई। इसमें पुराने और तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की भर्ती हुई। डीसीपी और दो एडिशनल डीसीपी की नियुक्ति की गई। इंटेलिजेंस भी आपराधिक तत्वों की गतिविधियों और अपराधियों की निगरानी करने लगी। इसके बाद भी तीन हत्या में संगठित गिरोह का हाथ सामने आया।