
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। सराफा की गली में अब खाने-पीने की सिर्फ 69 दुकानें ही सज सकेंगी। चाट चौपाटी एसोसिएशन की ओर से इन दुकानों को पुरानी व परंपरागत बताकर निगम को सूची सौंपी गई। गुरुवार शाम निगमायुक्त और अपर आयुक्त ने चाट चौपाटी एसोसिएशन और चांदी-सोना व्यापारी एसोसिएशन के पदाधिकारियों को आमने-सामने बिठाकर सूची पर दस्तखत करवाए।
तुरंत अमल में लाने का आदेश दिया और निगम का अमला सराफा में शेष दुकानों को हटाने पहुंच गया। चौपाटी से हटाए जा रहे दुकानदार भड़क गए। चौपाटी एसोसिएशन पर मनमानी सूची बनाने का आरोप लगाते हुए दुकानदारों ने सड़क पर धरना दे दिया। देर रात तक चौपाटी में विरोध प्रदर्शन और हंगामा चलता रहा। इससे पहले तक नगर निगम सराफा में चाट चौपाटी का आकार और स्वरूप तय करने के लिए एक नौ सदस्यीय कमेटी के गठन की बात कह रहा था।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी, जिसे चौपाटी पर निर्णय लेना था। उसकी एक भी बैठक नहीं हुई। गुरुवार को भी दो पक्षों की बैठक में सराफा व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम सोनी, मंत्री बसंत सोनी, एमआईसी सदस्य निरंजन चौहान गुड्डू, चौपाटी एसोसिएशन के रामजी गुप्ता मौजूद रहे। इनकी बैठक निगमायुक्त दिलीप यादव और अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया ने करवाई।
बताया जा रहा है कि महापौर वाली कमेटी तो अस्तित्व में ही नहीं आ सकी। भले ही एमआईसी ने कमेटी को बनाने का प्रस्ताव पास किया था, लेकिन निगम कमिश्नर ने दस्तखत नहीं किए तो कमेटी कागज से बाहर ही नहीं आ सकी। गुरुवार को भी चौपाटी में दुकानों की संख्या घटाने के निर्णय पर अधिकारियों ने साइन नहीं किए। चौपाटी और सराफा व्यापारियों से दस्तखत करवाकर यह लिखवाया गया कि वे निर्णय पर सहमत हैं।
ऐसे हुआ फैसला और तत्काल लागू
पुराने दौर में सिर्फ रबड़ी, गुलाब जामुन, हलवा, मालपुए और जलेबी जैसी मिठाइयां चौपाटी पर बिकती थीं। इसके बाद भुट्टे के किस और चाट की दुकानें सजने लगीं। बाद के वर्षों में चौपाटी पर पावभाजी से लेकर चाइनीज, सैंडविच, पान, पिज्जा, नारियल पानी, मोमोज और बदलते दौर के तमाम व्यंजन वालों ने यहां ठिया जमा लिया। इस तरह सराफा चाट चौपाटी में 40-50 दुकानों की संख्या बढ़कर 200 से ज्यादा पहुंच गई।