Indore Clean City: गीला-सूखा कचरा अलग करने की आदत ने इंदौर को इस बार भी बनाया ‘स्वच्छता का सरताज’
इंदौर ने आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने का गौरव हासिल किया है। शहर की इस सफलता के पीछे गीला और सूखा कचरा अलग करने की आदत एक महत्वपूर्ण कारक है। इंदौर नगर निगम द्वारा सोर्स सेग्रिगेशन का नवाचार करने से शहरवासियों ने अपने घर में गीले और सूखे कचरे के लिए अलग-अलग डिब्बे रखे हैं। इस आदत ने इंदौर को स्वच्छता में नंबर वन बनाए रखा है।
Publish Date: Fri, 18 Jul 2025 10:35:23 AM (IST)
Updated Date: Fri, 18 Jul 2025 10:39:03 AM (IST)
HighLights
- सोर्स सेग्रिगेशन में इंदौर को सूरत व अहमदाबाद शहर से भी अधिक अंक मिले।
- सुपर लीग में शामिल होने के बाद भी देश के सभी शहरों में इंदौर सबसे आगे रहा।
- बाकी शहरों को गीला-सूखा कचरा पूर्ण रूप से अलग-अलग नहीं मिल पा रहा है।
उदय प्रताप सिंह, नईदुनिया, इंदौर। आठ साल पहले इंदौर ने स्वच्छता का संकल्प ले सड़क किनारे के कचरे के ढेर व कचरा पेटियों को हटाया और हर घर से गीला व सूखा कचरा अलग-अलग लेने (सोर्स सेग्रिगेशन) का नवाचार किया। नगर निगम द्वारा किए गए इस बदलाव का साथ शहरवासियों ने दिया। उन्होंने अपने घर में गीले व सूखे कचरे का डिब्बा अलग रखा। कचरा पृथक्करण की इस मूल आदत के कारण इंदौर सात साल से स्वच्छता में नंबर-1 रहा। वहीं आठवीं बार सुपर लीग में शामिल होने के बाद भी देश के सभी शहरों में इंदौर सबसे आगे रहा।
घर-बाजार से गीला-सूखा नहीं, छह तरह का कचरा अलग देने की शहरवासियों की आदत ही इंदौर को दूसरे शहरों से आगे बनाए हुए है। अलसुबह 6.30 बजे से शहर की कालोनियों में पहुंचने वाली डोर टू डोर कचरा संग्रहण की गाड़ियां देर रात छप्पन दुकान व सराफा बाजार के बंद होने के पहले उनका कचरा एकत्र कर ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंचाती हैं।
इस कार्य में हर दिन दो हजार से ज्यादा कर्मचारी इन वाहनों के साथ मौसम की परवाह किए बगैर नियमित जिम्मेदारी निभाते हैं। साल के 365 दिन शहरवासियों व निगम के कर्मचारियों की शहर को नंबर एक बनाने के प्रण की यह जीवटता ही जो इंदौर को हर मुकाबले में सिरमौर बनाती है।
गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लेने से आगे रहा इंदौर
सुपर स्वच्छ लीग में शामिल इंदौर के शामिल होने के कारण इस बार इंदौर किसी भी शहर से नंबर-1 के खिताब के लिए मुकाबला नहीं था। इस सर्वेक्षण में देश के अन्य शहरों के साथ इंदौर का स्कोर कार्ड भी जारी किया गया। लीग में शामिल सूरत व इस बार का नंबर-1 स्वच्छ शहर अहमदाबाद भी स्वच्छता के अन्य मापदंडों पर इंदौर की तरह शत प्रतिशत अंक लाए हैं।
सोर्स सेग्रिगेशन यानि घर-बाजारों से गीला-सूखा कचरा अलग-अलग मिलने वाली श्रेणी में इंदौर को 98 प्रतिशत अंक मिले। वहीं सूरत को 92 व अहमदाबाद को 94 प्रतिशत अंक मिले। यानी इंदौर के मुकाबले सूरत, अहमदाबाद व अन्य शहरों को गीला-सूखा कचरा पूर्ण रूप से अलग-अलग नहीं मिल पा रहा है। इसी वजह से सोर्स सेग्रिगेशन ने इंदौर को स्कोर कार्ड में सबसे ऊपर खड़ा कर दिया।
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ये है हमारी ताकत
- शहर के छह लाख घर : गीला-सूखा के अलावा छह तरह का कचरा अलग-अलग देते हैं।
- एक लाख दुकानदार : हर दुकान में गीले व सूखे कचरे का डिब्बा है। वे भी कचरा अलग-अलग देते हैं।
- 4800 बल्क गारबेज देने वाले प्रतिष्ठान : प्रतिदिन 10 किलो से ज्यादा करने वाले।
इनकी महत्वपूर्ण भूमिका
- डोर टू डोर कचरा संग्रहण वाहन : सुबह 6.30 से दोपहर 1.30 बजे तक 646 वाहन हर कालोनी में पहुंच कचरा एकत्र करते हैं। शाम चार बजे बाद कमर्शियल क्षेत्र में 250 वाहन पहुंचते हैं।
- कर्मचारी : कचरा संग्रहण वाहन के साथ ड्राइवर हेल्पर के रूप में 1342 कर्मचारी, 650 एनजीओ के सदस्य। ये लोग घर व बाजारों में गीले के साथ सूखा कचरा देने वालों को टोकते हैं और कचरा लेने से मना भी करते हैं।
- जुर्माना : खुले में कचरा फेंकने या नालों में कचरा डालने जैसे स्वच्छता के नियमों का उल्लंघन करने पर इंदौर नगर निगम हर माह 300-400 लोगों व प्रतिष्ठानों पर जुर्माना करता है। इस जुर्माने से निगम के खाते में सालाना दो से ढाई करोड़ रुपये आते हैं।
- ई-वेस्ट : मोबाइल, लैपटाप, केबल तार व अन्य इलेक्ट्रानिक वेस्ट भी मिल रहा।
- हानिकारक घरेलू कचरा : कांच, पेंट की बोतल सप्ताह में दो टन एकत्र होती है। इन्हें पीथमपुर में रामकी के भस्मक में भेजा जाता है।