नईदुनिया प्रतिनिधि,इंदौर। इंदौर में स्टांप ड्यूटी में 13 करोड़ से अधिक राशि का घोटाला करने के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडबल्यू) ने पंजीयन कार्यालय के दो अधिकारी और तीन रियल स्टेट कारोबारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। आरोपितों ने घोटाले से राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया है।
एसपी रामेश्वर यादव के मुताबिक मेसर्स एक्सक्लूसिव रियल्टी के विवेक पुत्र मोहनलाल चुघ, मेसर्स सेवनहार्ट्स बिल्डकान एलएलपी के हितेंद्र मेहता, अजय कुमार जैन, पंजीयन कार्यालय के उपपंजीयक संजय सिंह और वरिष्ठ जिला पंजीयक अमरेश नायडू के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है।
जांच में सामने आया कि आरोपितों ने मिलकर मांगलिया रोड़ स्थित डीएलएफ गार्डन सिटी प्रोजेक्ट की जमीन का दाम कम दिखाया है। इसके लिए उन्होंने रिवाइज्ड लेआउट प्लान से प्रोजेक्ट का नाम डीएलएफ गार्डन सिटी हटा दिया और अपूर्ण जानकारी वाला दस्तावेज अपलोड किया। इससे जमीन की रजिस्ट्री मांगलिया गांव के सामान्य गाइडलाइन दर 14,200 रुपये प्रति वर्ग मीटर पर करवा दी। जबकि असल दर 50,800 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी।
रियल इस्टेट से जुड़े कारोबारियों ने इस खेल में अधिकारियों को दलाल के माध्यम से शामिल किया। जिसमें अधिकारियों ने उन्हें कम गाइडलाइन दर पर जमीन की रजिस्ट्री करने का रास्ता बताया। जिसके बाद इन्होंने इस पुरे काम को अंजाम दिया। इसमें अधिकारियों ने भी मोटी रकम ली है। ईओडब्ल्यू के डीएसपी पवन सिंघल के मुताबिक आरोपितों के खिलाफ बीएनएस की धारा 318(4), 61(2), 338, 336(3) एवं 340 भारतीय न्याय संहिता 2023 व धारा 7 (सी), भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
बता दें कि अब अधिकांश कॉलोनियां बायपास वाले क्षेत्र में विकसित हो रही है। कम दर में रजिस्ट्री के बड़े घोटाले इन कालोनियों में हो रहे हैं। अब ईओडब्ल्यू आगे की जांच में इन सभी कालोनियों को भी शामिल करेगी। क्योंकि अधिकारियों से साठगांठ कर रियल इस्टेट कारोबारी स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस मामले में आरोपित पंजीयन कार्यालय के उपपंजीयक संजय सिंह और वरिष्ठ जिला पंजीयक अमरेश नायडू की जांच गंभीरता से की जाएगी। जांच में यह पता किया जाएगा कि कितने रियल इस्टेट कारोबारियों को यह अधिकारी इस तरह से लाभ पहुंचाकर सरकार को नुकसान पहुंचा रहे थे।
जानकारी अनुसार जिस डीएलएफ ग्रुप के नाम पर यह घोटाला किया गया है, उसे भी जांच के दायरे में लिया गया है। इसमें कई बड़े अधिकारी के भी शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। पहले भूमाफियाओं के साथ सहकारिता, टीएनसीपी, आईडीए, नगर निगम और पुलिस का ही नाम आता था, लेकिन अब तो रजिस्ट्रार कार्यालय भी इसमें पूरी तरह से शामिल है।