
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। आवारा पशुओं द्वारा शहर की हरियाली को पहुंचाए जा रहे नुकसान को लेकर हाई कोर्ट में चल रही जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। इसमेंशहर में लगातार बढ़ रही कुत्तों की संख्या का मुद्दा उठा। कोर्ट ने सवाल उठाया कि निगम कह रहा है कि अब तक 2 लाख 39 हजार कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। ऐसा है तो फिर कुत्तों की संख्या बढ़ कैसे रही है। कोर्ट ने कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए निगम द्वारा किए जा रहे प्रयासों को अपर्याप्त मानते हुए कोर्ट ने नसबंदी मामले में घोटाले की आशंका भी जताई।
कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई पर विस्तृत जवाब प्रस्तुत कर बताएं कि कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए क्या सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं। अगर पर्याप्त जवाब नहीं आया तो कुत्तों की नसबंदी के मामले में न्यायिक जांच भी करवाई जा सकती है। हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका डूइंग नीडफुल संगठन ने एडवोकेट गगन बजाड़ के माध्यम से दायर की है।
कोर्ट ने 25 नवंबर को एक आदेश जारी कर निगम से कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए किए गए प्रयास और सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा श्वाानों के संबंध में दिए निर्देश पर की गई कार्रवाई के बारे में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमित्र वरिष्ठ अभिभाषक पीयुष माथुर ने कुत्तों की समस्या के निराकरण के लिए कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए दो आदेशों को पटल पर रखा।
याचिका की सुनवाई के दौरान इंटरविनर बने एडवोकेट मनीष यादव ने कोर्ट को बताया कि पूरा शहर कुत्तों की वजह से परेशान है। प्रयास सिर्फ कागज पर नजर आ रहे हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिए कि हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन करे। इसके लिए निगमायुक्त संबंधित अधिकारियों की 10 दिन में बैठक बुलाकर कार्ययोजना बनाएं और इसे क्रियान्वित करते हुए रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें।