
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Indore Western Ring Road Project)। पश्चिमी रिंग रोड परियोजना को लेकर जिले की तीनों तहसीलों हातोद, देपालपुर और सांवेर में सर्वे हो चुका है। लंबे समय से रुका हुआ सर्वे किसानों की सहमति के बाद शुरू हुआ था।
इस दौरान राजस्व विभाग की टीम ने भूमि सर्वेक्षण का कार्य कर अधिग्रहित होने वाली जमीन पर मौजूद मकान, दुकान, पेड़, बोरिंग, कुएं और पाइपलाइन जैसे सभी निर्माणों का भी विवरण दर्ज किया। अब सड़क के लिए अधिग्रहित जमीन पर पिलर मार्किंग का कार्य किया जा रहा है।
शिप्रा से लेकर पीथमपुर तक बनने वाली 64 किमी लंबी पश्चिम रिंग रोड के लिए जिले की 570.5678 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित होगी। 98.4979 हेक्टेयर शासकीय जमीन पर सीमांकन और अन्य सर्वे पहले ही हो चुका है।

राजस्व विभाग ने एनएचएआई के अधिकारियों के साथ अधिग्रहित जमीन व उस पर मौजूद संरचनाओं का सर्वे कर लिया है। इससे किसानों को उचित मुआवजा मिलेगा। देपालपुर एसडीएम राकेश मोहन त्रिपाठी का कहना है कि देपालपुर तहसील में पिलर की मार्किंग की जा रही है।
सर्वे के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। इसके लिए एनएचएआई द्वारा नियुक्त सीएएलए अधिकारी सर्वे के परिणामों के आधार पर आरआरसी (भूमि मुआवजा अधिसूचना) जारी करेंगे। वहीं किसानों को उनके खाते में मुआवजा राशि जारी की जाएगी।
इंदौर जिले की तीनों तहसीलों के 998 किसानों की 472.0699 हेक्टेयर जमीन पश्चिमी रिंग रोड में आ रही है। इसमें सबसे अधिक 512 किसान सांवेर, 333 हातोद और 153 देपालपुर तहसील के हैं।
यह सड़क तीनों तहसील के 26 गांवों से गुजर रही है और इसमें 864 किसानों की जमीन मुख्य सड़क और 134 किसानों की जमीन अतिरिक्त सड़क के लिए अधिग्रहित होगी।