
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। पश्चिमी रिंग रोड प्रोजेक्ट सुस्ती और मुआवजा वितरण की धीमी गति का शिकार हो गया है। जिस परियोजना से शहर को बेहतर कनेक्टिविटी और औद्योगिक विकास को रफ्तार मिलनी थी, उसका निर्माण डेढ़ साल बाद भी शुरू नहीं हो सका। हालत यह है कि नए साल में भी फरवरी से पहले काम शुरू होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही।
इंदौर और धार जिले से होकर गुजरने वाले 64 किमी लंबे पश्चिमी रिंग रोड के लिए अब तक केवल 64.53 प्रतिशत मुआवजा ही बांटा जा सका है। इसके कारण जमीन अधिग्रहण काम अटका हुआ है। दोनों जिलों में महज 46.12 प्रतिशत भूमि ही अधिग्रहित हो पाई है, जबकि नियमानुसार सड़क निर्माण शुरू करने के लिए कम से कम 80 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण जरूरी है।
दरअसल पश्चिमी रिंग रोड का निर्माण दो चरणों 34 और 30 किमी में होना है। इंदौर जिले में जहां 765.73 करोड़ रुपये मुआवजा देना था, लेकिन महज 486.90 करोड़ का ही वितरण हुआ। वहीं धार जिले में 113.88 करोड़ के मुकाबले 80.78 करोड़ ही किसानों तक पहुंच पाए है। इस वजह से जमीन अधिग्रहण का कार्य प्रभावित हो रहा है। इंदौर जिले में 55.2 किमी लंबी सडक में से केवल 28.32 किमी तक ही जमीन का कब्जा प्रशासन ले पाया है।
वहीं धार जिले में 8.8 किमी सड़क में से अब तक 1.20 किमी पर ही प्रशासन कब्जा ले पाया है। दोनों जिले में सड़क निर्माण शुरू करने के लिए 80 प्रतिशत यानी 51.4 किमी भूमि की जरूरत है, लेकिन अब तक 29.52 किमी ही अधिग्रहित हो सकी है। गौरतलब है कि सड़क का निर्माण क्ष्रिप्रा से पीथमपुर के नेट्रेक्स तक होना है।
इंदौर और धार जिले की चार तहसील के 31 गांवों से पश्चिमी रिंग रोड गुजर रही है। इसमें इंदौर जिले की सांवेर तहसील के 9 गांव की जमीन सड़क में आ रही है। वहीं जिले की हातोद तहसील के 12 गांव और देपालपुर तहसील के पांच गांव की जमीन इसमें आ रही है। इंदौर जिले में 998 किसानों की जमीन अधिग्रहित होना है और इनको 765.73 मुआवजा दिया जाएगा। वहीं धार जिले की पीथमपुर तहसील के पांच गांव की जमीन इसमें आ रही है। इन गांवों में किसानों को 113.88 करोड़ मुआवजा दिया जाएगा।
64 किमी लंबी पश्चिमी रिंग रोड का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में 34 किमी लंबी सड़क की कुल लागत 1534 करोड़ रुपये है, इसमें निर्माण लागत 996 करोड़ है। वहीं दूसरे चरण में 30 किमी सड़क का निर्माण 1431 करोड़ में होगा और इसकी निर्माण लागत 884 किमी है।
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