हर्षल सिंह राठौड़/रामकृष्ण मुले, इंदौर International Tiger Day। 'टाइगर स्टेट' मध्यप्रदेश के इंदौर का कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय (चिड़ियाघर) बाघों के मामले में खास स्थान रखता है। प्रदेश के किसी चिड़ियाघर में परंपरागत पीले बाघ के साथ सफेद और काला बाघ भी देखना हो तो यहां आइए। यह विशेषता इंदौर के अलावा सिर्फ ओडिशा के नंदन कानन जूलाजिकल पार्क में है।
असल में बाघों के संरक्षण के लिए सरकार, वन विभाग, पर्यावरण प्रेमी तो अपने-अपने स्तर पर सक्रिय हैं ही, चिड़ियाघर भी इसमें अहम भूमिका निभा रहा है। इसका नतीजा है कि यहां रहने वाले बाघ औसत से ज्यादा आयु तक जीते हैं।
छह चिड़ियाघरों की रौनक बने इंदौर में जन्मे आठ बाघ
पिछले आठ सालों से यहां बाघों की खास देखरेख की जा रही है। इसका सुखद नतीजा यह हुआ कि यहां जन्मे आठ बाघ देश के छह चिड़ियाघरों की रौनक बने हैं। प्रबंधन के मुताबिक एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत इंदौर जू ने दो-दो बाघ भोपाल, चंडीगढ़ और एक-एक औरंगाबाद, बिलासपुर, दुर्ग, रांची को दिए हैं। यहां बाघों के दो बाड़े हैं। एक करोड़ 70 लाख की राशि से एक एकड़ में नया बाड़ा बनाया गया है। जंगल सा माहौल देने के लिए इसमें पत्थरों से पहाड़, तालाब, मचान और गुफा बनाई गई है।
बढ़ रही जागरूकता
बाघों के संरक्षण के लिए शहर के लोग भी आगे आ रहे हैं। फिलहाल चिड़ियाघर के एक बाघ को वर्षभर के लिए गोद लिया गया है, जबकि दो बाघों को कुछ माह के लिए अलग-अलग लोगों ने गोद लिया है। गोद लेने के लिए बाघ के आहार का खर्च उठाना होता है, जो प्रतिदिन प्रतिबाघ एक हजार रुपये है। कोई कंपनी कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत बाघ को गोद लेती है, तो उसे आयकर में भी छूट मिलती है।
इसलिए हो पाता है बेहतर संवर्धन
चिड़ियाघर प्रभारी डा. उत्तम यादव के अनुसार चिड़ियाघर में बाघों की उम्र व संख्या बढ़ने का कारण सही वक्त और सही मात्रा में भोजन मिलना है। आहार में उन्हें हर दिन आठ किलो मांस दिया जाता है। सप्ताह में एक दिन उपवास भी रखते हैं। दो महीने में एक बार पेट के कीड़े मारने की दवाइयां दी जाती हैं। शिकार या क्षेत्र विशेष के लिए बाघों के बीच संघर्ष नहीं होता, जिससे वे घायल नहीं होते। इसलिए यहां बाघों की संख्या भी बढ़ी है। बाघ की औसत उम्र 16 से 18 वर्ष होती है। चिड़ियाघर में तीन बाघ ऐसे भी रहे हैं जो औसत से अधिक जीवित रहे। इनमें सफेद बाघ श्यामू 22, पीला बाघ बिहारी 21 व लालू बाघ 24 वर्ष तक जीवित रहा।
चार शावकों को मां ने छोड़ा
डा. यादव बताते हैं विगत वर्षों में चार शावकों को उनकी मां ने स्वीकार नहीं किया। ऐसी परिस्थिति में उनको श्वान, बकरी, गाय या डिब्बेवाला दूध पिलाकर पाला। आदर्श स्थिति में आने पर बाड़े में छोड़ा गया।
आज होगा टाइगर फीडिंग शो
चिड़ियाघर के एजुकेशन आफिसर निहार पारुलकर के अनुसार बाघ दिवस पर शाम 4.30 बजे टाइगर फीडिंग शो होगा। इसके जरिये बाघ के बारे में रोचक जानकारी दी जाएगी। चित्रकला प्रतियोगिता भी होगी।
एक नजर आंकड़ों पर
- 09 बाघ हैं चिड़ियाघर में
- 01 सफेद बाघ
- 01 काला बाघ
- 07 पीले बाघ
- 12 बाघ अन्य चिड़ियाघरों को दिए जा चुके हैं
- 24 बाघों का जन्म यहां हुआ
- 04 शावकों को उनकी मां ने नहीं स्वीकारा
- 01 एकड़ में बाघों को रखा गया है