शिक्षा का बड़ा केंद्र, बनता जा रहा आइटी हब
- इंदौर अब मध्य प्रदेश का एजुकेशन हब बन चुका है। यह देश का एकमात्र एेसा शहर है, जहां आइआइटी और आइआइएम दोनों शीर्ष संस्थान मौजूद हैं। प्रदेश की एकमात्र नैक ए प्लस ग्रेड प्राप्त यूनिवर्सिटी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय भी यहीं है। इसके अलावा 8 निजी विश्वविद्यालय भी यहां से संचालित होते हैं। हर साल पांच से छह लाख विद्यार्थी अपना भविष्य बनाने के लिए इंदौर आते हैं। साथ ही टीसीएस, इंफोसिस जैसी बड़ी आइटी कंपनियों के साथ ही यहां छोटी और मध्यम 500 आइटी कंपनियां हैं। इनमें करीब 15 हजार युवा काम करते हैं। यह युवा भी इंदौर में ही निवेश कर बसते जा रहे हैं।
देश के अन्य शहरों से बेहतर जुड़ाव
इंदौर में एयर और रेलवे कनेक्टिविटी भी बेहतर है। इस कारण मुंबई, दिल्ली, पुणे, हैदाराबाद, बंगलुरु आदि बड़े शहरों से भी अच्छा जुड़ाव है। साथ ही मेट्रो प्रोजेक्ट भी आ रहा है। यहां शहर के अंदर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बसों की व्यवस्था भी बेहतर है। आसपास के शहरों से भी सड़क परिवहन तेज है। इसी कारण अन्य शहरों के लोग भी कारोबारी जरूरतों या अन्य कारणों से इंदौर में घर लेकर रहना पसंद कर रहे हैं।
इन इलाकों में सर्वाधिक कीमत, दो से पांच करोड़ के फ्लैट
प्रापर्टी की कीमतों के लिहाज से देखें तो इंदौर में रेसकोर्स रोड सबसे महंगा माना जाता है। इसके अलावा कंचनबाग, साकेत, मनोरमागंज, पलासिया, एबी रोड पर विजय नगर का क्षेत्र सर्वाधिक महंगे हैं। यहां एक करोड़ से लेकर पांच करोड़ रुपये तक के फ्लैट हैं। इन इलाकों में भूखंड की कीमतें सात हजार से लेकर 20 हजार रुपये प्रति वर्गफीट तक पहुंच चुकी है। दूसरी तरफ बिचौली मर्दाना, स्कीम नंबर-140, निपानिया जैसे इलाके भी काफी महंगे हो चुके हैं। इन इलाकों में पिछले पांच-सात साल में संपत्ति की कीमतें दोगुनी हुई हैं। निर्माण की लागत भी करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो चुकी है।
क्या कहते हैं जानकार
इंदौर में रियल एस्टेट सेक्टर में इस समय अनूकूलता है। इंदौर में रहने की लागत बहुत किफायती है। यहां के लोगों में अन्य शहरों से आए लोगों की स्वीकार्यता भी है। कट्टरवाद भी नहीं है। हर समुदाय के लोग रहते हैं। कई लोग ऐसे हैं जो रिटायरमेंट के बाद इंदौर में ही बस जाते हैं।
- अतुल झंवर, कोषाध्यक्ष, क्रेडाई
इंदौर की एयर कनेक्टिविटी और यहां से जुड़ने वाले फोरलेन बनने के बाद इंदौर का दिनोदिन विस्तार हो रहा है। यह तेजी से बढ़ता शहर बन चुका है, इसलिए यहां रियल एस्टेट में केवल निवेश नहीं है, बल्कि लोगों की जरूरत है। उज्जैन रोड तो लगभग पैक हो चुका है, अब आसपास के गांवों में भी कालोनियां बन रही हैं। शासन की तरफ से भी सहयोग मिल रहा है।
- विवेक दम्मानी, प्रदेश अध्यक्ष, नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल
देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने के बाद इंदौर की काफी ब्रांडिंग हुई। फ्लैट तो बिक ही रहे हैं, लेकिन कोरोना के बाद लोगों का रुझान प्लाट में अधिक बढ़ा है। वे खुद का घर लेकर रहना पसंद कर रहे हैं। इसी कारण बायपास रोड के दूसरी तरफ भी लोग रहने जा रहे हैं, पहले ऐसा नहीं था। कम बजट वालों को भी शहर में मकान उपलब्ध हैं।
- विजय गांधी, उपाध्यक्ष, एमपी क्रेडाई
इंदौर में रहने के अनुसार भौगोलिक अनुकूलता भी है। यहां चारों तरफ प्लेन जमीन है, समुद्र या पहाड़ भी नहीं हैं। इसलिए विस्तार के काफी विकल्प हैं। रेरा कानून आने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में भी अच्छे लोग काम के लिए आगे आए हैं। सही काम हाेने से खरीदारों में विश्वास बढ़ा है।
- नितिन अग्रवाल, सीए एवं रेरा के जानकार
संपत्ति की खरीदी-बिक्री में इंदौर हमेशा से ही आगे रहा है। शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी जमीन, मकान अौर प्लाट के कई सौदे गाइडलाइन दर से अधिक पर हो रहे हैं। रियल एस्टेट में ग्रोथ के कारण राज्य शासन को भी यहां से काफी राजस्व मिलता है। स्टाम्प ड्यूटी के संकलन में इंदौर पूरे प्रदेश में पहले नंबर पर है। इस वर्ष भी हम शासन से तय लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
- बालकृष्ण मोरे, उप महानिरीक्षक, पंजीयन एवं मुद्रांक विभा