इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Bhaiyyu Maharaj Suicide Indore। भय्यू महाराज आत्महत्या मामले में बुधवार को सीएसपी मनोज रत्नाकर का प्रतिपरीक्षण हुआ। उन्होंने स्वीकार कि मामले की जांच करीब दो महीने उनके पास रही थी। इस दौरान किसी ने आरोपितों पर किसी तरह का शक जाहिर नहीं किया था। गवाह ने कोर्ट को यह भी बताया कि उन्होंने ही मौके से मोबाइल, लैपटाप, सीसीटीवी फुटेज आदि जब्त कराए थे। हालांकि इन्हें कभी बाद में देखने का काम नहीं पड़ा। प्रतिपरीक्षण अधूरा रहा। मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी। इस दिन कोर्ट ने मोबाइल नेटवर्क कंपनी के नोडल अधिकारी को तलब किया है।
12 जून 2018 को भय्यू महाराज के आत्महत्या करने के करीब छह महीने बाद से ही आरोपित शरद, विनायक और पलक जेल में हैं। पुलिस ने आरोपितों को भय्यू महाराज को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। प्रकरण की सुनवाई जिला कोर्ट में न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी के समक्ष चल रही है। बुधवार को तत्कालीन सीएसपी मनोज रत्नाकर के बयान हुए। आरोपित विनायक की ओर से एडवोकेट आशीष चौरे, शरद की ओर से धर्मेंद्र गुर्जर ने उनका प्रतिपरीक्षण किया।
एडवोकेट गुर्जर ने बताया कि रत्नाकर ने स्वीकारा कि महाराज की मृत्यु के बाद उन्होंने उनकी पत्नी आयुषी, बेटी कुहू, बहन अनुराधा, मधुमति, सेवादार शेखर शर्मा, डॉ.पवन राठी सहित अन्य के बयान लिए थे। सभी गवाहों ने कहा था कि उन्हें नहीं पता कि महाराज ने आत्महत्या क्यों की। किसी भी गवाह ने तीनों में से किसी भी आरोपित पर शक जाहिर नहीं किया था।
गुर्जर ने बताया कि रत्नाकर ने स्वीकारा कि उन्होंने महाराज की पहली पत्नी माधवी की मां और भाई तथा महाराज की बेटी कुहू के कथन लिए थे। इसमें महाराज की दूसरी शादी से कुहू और आयुषी के बीच कलह की बात सामने आई थी। आयुषी के बयान में भी कुहू से अनबन की बात सामने आई थी।
गुरुवार को भी जारी रहेगी सुनवाई
प्रकरण में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी। इस दिन मोबाइल नेटवर्क कंपनी के नोडल अधिकारी को तलब किया गया है। गुरुवार को ही अगली सुनवाई की तारीख भी तय होगी।