Taste Of Indore: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। पानी बाबा आया ककड़ी भुट्टा लाया, बरसात के आते ही यह जुमला अमूमन हर किसी को याद आ जाता है और सच भी है कि इस मौसम में भुट्टे का जो आनंद है वह शायद किसी और मौसम में नहीं। इंदौर ने भुट्टे के इस आनंद को अपने जायके के साथ कुछ ऐसा संजोया कि वह कई व्यंजनों के रूप में यहां बारहों महीने खाया-खिलाया जाने लगा। सड़क किनारे लकड़ी के कोयले पर हल्की आंच पर सेंक कर दिए जाने वाले देसी और अमेरिकन भुट्टे हों या भुट्टे से बनने वाली कचौरी, भजिये, लड्डू, हलवा या भुट्टे का किस ही क्यों ना हो।
दूसरे व्यंजनों का मजा तो तब भी कुछ महीने ही लिया जा सकता है लेकिन स्वाद के शौकीन इस शहर में भुट्टे की कचौरी आप पूरे साल खा सकते हैं। भुट्टे की कचौरी शहर में कई जगह मिलती है लेकिन मालगंज और उषा नगर रोड पर शहर की पुरानी दुकान अन्नपूर्णा रिफ्रेशमेंट पर कचोरी का स्वाद कुछ अलग ही है। जिसे उसके मसाले और कचौरी पर डाला जाने वाला बगैर लाल मिर्च का इंदौरी जीरावन तथा नींबू का रस कई गुना बढ़ा देता है।
ऐसे बनती है कचौरी
सांवेर में होने वाले देसी भुट्टे को किस कर तेल में राई खड़ा धनिया, खड़ी सौंफ, हींग, लाल मिर्च नमक डालकर खूब पकाया जाता है इसके बाद इस भरावन को मैदे से बनी पूरी में भरकर कचौरी का रूप देते हुए तला जाता है। भुट्टे की कचौरी बनाने वाले योगेश और आशुतोष शर्मा बताते हैं कि इस खास कचौरी को बनाने की शुरुआत उनके पिता सत्यनारायण शर्मा ने की थी। कचौरी के भरावन में वैसे तो सभी साधारण मसाले हैं लेकिन इसमें खुद के द्वारा तैयार गरम मसाला विशेष रूप से डाला जाता है। इस गरम मसाले में जावित्री दालचीनी, लौंग, बड़ी इलायची, बादाम फूल आदि शामिल हैं। जो इसके स्वाद को और भी निखारता है। वैसे तो कचौरी का मजा तो चटनी से और भी बढ़ जाता है लेकिन ये कचौरी बिना चटनी के ही ज्यादा मजेदार लगती है। भुट्टे की मिठास को कम करने के लिए कुछ लोग उस पर हरे धनिये-हरी मिर्च की चटनी डालकर भी खाते हैं।
फोटो: प्रफुल्ल चौरसिया, आशु।