नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। नर्मदा तट पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और उज्जैन में बाबा महाकाल के बीच स्थित इंदौर का खजराना गणेश मंदिर धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। गणेश चतुर्थी, नववर्ष और अन्य प्रमुख अवसरों पर यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर की भव्यता, धार्मिक महत्व और आधुनिक सुविधाएं इसे देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाती हैं।
हर तीन माह में दान पात्र खोले जाने पर चांदी के सिक्कों के साथ-साथ डालर और यूरो जैसी मुद्राएं निकलती हैं, जो इस मंदिर की लोकप्रियता को दर्शाती हैं। देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा 1735 में स्थापित इस मंदिर में भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
विशेष अवसरों पर भगवान गणेश, रिद्धि-सिद्धि और शुभ लाभ का शृंगार करीब ढाई करोड़ के स्वर्ण आभूषणों से किया जाता है। गर्भगृह की बाहरी दीवारें चांदी की हैं, जिन पर विभिन्न उत्सवों का चित्रण किया गया है। मंदिर परिसर में 33 छोटे-बड़े मंदिर हैं, जिनमें भगवान राम, शिव, मां दुर्गा, साईं बाबा, पवनपुत्र हनुमान सहित अनेक देवी-देवताओं के मंदिर शामिल हैं। यहां एक प्राचीन पीपल का पेड़ भी है, जिसे मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
मंदिर परिसर का विस्तार 8.5 एकड़ से बढ़ाकर 26.5 एकड़ किया जा रहा है। इस विस्तार में नागर शैली में नया मंडप, क्लाक रूम, अन्न क्षेत्र, छायादार पेड़, रोटरी और सुविधाजनक पार्किंग जैसी सुविधाएं शामिल हैं। पुजारी जयदेव भट्ट के अनुसार मंदिर के विस्तार को मंजूरी मिल चुकी है, जिससे देश-विदेश से भक्त भगवान के दर्शन के लिए आ सकें।
विशेष अवसरों पर दर्शन व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए जिगजैग रैलिंग और स्टेपिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे एक बार में करीब पांच हजार भक्त मात्र 20 मिनट में दर्शन कर सकते हैं। रैंप की सुविधा भी उपलब्ध है। अन्नक्षेत्र के साथ किडनी के रोगियों को डायलिसिस के लिए सहायता और थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को दवाएं प्रदान की जाती हैं।