इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। कुट्टी मेनन व्यक्ति नहीं, संस्था थे। उन्होंने केरल से इंदौर आकर पर्यावरण, जैविक खेती, बायोगैस, सौर ऊर्जा सहित विभिन्न् क्षेत्रों में अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के दम पर अनेक पुरस्कार हासिल किए, बल्कि उनके कारण इंदौर को भी देश-विदेश में बहुत सम्मान मिला। गांधीवादी आदर्शों पर चलते हुए उन्होंने जीवन भर नैतिक मूल्यों को कायम भी रखा और उन्हें आगे भी बढ़ाया।
संस्था सेवा सुरभि के तत्वावधान में कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट, अभ्यास मंडल, सीईपीआरडी, सर्वोदय प्रेस सर्विस, द नेचर वालेंटियर्स, गांधी शांति प्रतिष्ठान इंदौर, जिमी मगिलिगल सेंटर फार सस्टेनेबल डेवलपमेंट की भागीदारी में पद्मश्री कुट्टी मेनन को श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजित स्मृति सभा में शहर के ही नहीं, देश के गणमान्य नागरिकों, प्रबुध्दजनों एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने उक्त विचार व्यक्त किए। सभा का आरंभ सूत्रधार संजय पटेल द्वारा स्व. मेनन के जीवन परिचय एवं 'वैष्णव जन तो तेने कहिए...."भजन के साथ हुआ। सभा में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पद्मश्री जनक पलटा, पद्मश्री भालू मोढे, प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, कीर्ति राणा, अभ्यास मंडल के शिवाजी मोहिते, सीईपीआरडी के रामेश्वर गुप्ता, अजीतसिंह नारंग, सर्वोदय प्रेस के कुमार सिध्दार्थ, पूर्व पार्षद दीपक जैन टीनू, माला सिंह ठाकुर, उमा झंवर, कैलाशचंद्र खंडेलवाल, मनोहर भंडारी, गोपाल माहेश्वरी, अनिल भंडारी, राकेश दीवान, आलोक खरे, भोपाल के विलास गोले, विजय वैदेही, मुंबई की संध्या शाह, भावेश्वरी धनानी, संजय मेहता, शैलेष धनानी एवं संस्था सेवा सुरभि की ओर से ओमप्रकाश नरेड़ा, अनिल गोयल, कमल कलवानी आदि ने भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
जैविक खेती मे बहुत काम किया
पद्मश्री जनक पलटा ने कहा कि चंडीगढ़ से इंदौर आने पर मुझे सबसे पहले कस्तूरबा ग्राम में कुट्टी मेननजी से मिलने का अवसर मिला। वे साइकिल चला रहे थे। उनसे मिलकर पहली मुलाकात में ही लगा कि उन्होंने कृषि विज्ञान, बायोगैस, गो पालन, जैविक खेती एवं पर्यावरण के क्षेत्र में बहुत कुछ ऐसा किया है जो कहीं और नहीं हुआ है। उन्हें पता था कि किस पेड़ पर कितने फल कब लगते हैं। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। आनलाइन हुई इस स्मृति सभा में लगभग डेढ़ सौ प्रबुद्धजनों ने जुड़कर उन्हें शिद्दत से याद किया। जूम मीटिंग में तकनीकी सहयोग रवि गुप्ता का रहा।