
टीम नईदुनिया, मालवा-निमाड़ । राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रदेश का मालवा-निमाड़ क्षेत्र यूं तो दर्जन भर बड़ी रेल परियोजनाओं की वजह से चर्चा में रहता है लेकिन इन इनकी मंथर गति से इस क्षेत्र के विकास की रेल सालों बाद भी ‘आउटर’ पर ही खड़ी नजर आती है। पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल कार्यालय इस क्षेत्र में होने के बाद भी रेल सुविधाओं के मामले में यह क्षेत्र वह प्रगति नहीं कर पाया जिसकी इस क्षेत्र को दरकार थी।
केंद्रीय बजट में कभी नाकाफी राशि तो कभी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण सहित अन्य मुद्दों पर जनप्रतिनिधियों का रुचि नहीं लेना भी इसकी बड़ी वजह है। नईदुनिया ने रेल परियोजनाओं की पड़ताल की तो ये तस्वीर सामने आई।
उज्जैन में श्री महाकाल महालोक बनने के बाद से यात्रियों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। रेलवे भी रेल सुविधाओं में बढोतरी का दावा करता है लेकिन गति धीमी है। उज्जैन रेलवे स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत शामिल किया गया है। 476 करोड़ रुपये से उज्जैन स्टेशन का कायाकल्प होगा। पांच मंजिला नए भवन में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। उज्जैन-इंदौर रेल मार्ग का दोहरीकरण किया जा चुका है। वहीं उज्जैन-फतेहाबाद रेल मार्ग के दोहरीकरण को अब जाकर मंजूरी मिल चुकी है। सांसद अनिल फिरोजिया के अनुसार क्षेत्र में रेल योजनाओं के लगातार प्रयास और पत्राचार किए। रेल मंत्री से भी कई बार भेंट कर संसदीय क्षेत्र में रेल विकास के कार्यों का आग्रह किया।
देवास-शाजापुर लोकसभा क्षेत्र में पांच साल में रेलवे में सुविधाओं का दायरा बढ़ा है। इंदौर-विक्रमनगर रेल लाइन डबल हो जाने से ट्रेनों की गति बढ़ी है, क्रासिंग के कारण लेट होने वाली कई ट्रेनें अब समय से पहले देवास, उज्जैन, इंदौर पहुंच रही हैं।
दाहोद-इंदौर रेलवे परियोजना : लागत अब दोगुना से ज्यादा
धार-झाबुआ जिले को वर्ष 2008 में दाहोद-इंदौर परियोजना की सौगात मिली थी। शुरुआत में योजना 700 करोड़ से अधिक की थी। अब यह 1640 करोड़ पहुंच गई। बजट के अभाव में पिछले 16 वर्षों में इस योजना पर कार्य धीमी गति से चल रहा है। 2023 में 440 करोड़ का बजट मिलने से शहर के समीप गोपालपुरा ग्राम में स्टेशन का कार्य शुरू कर दिया गया। इस वर्ष 600 करोड़ का बजट मिला है। सांसद गुमानसिंह का कहना है कि लगातार रेलमंत्री व प्रधानमंत्री से संपर्क किया। अब रेलवे का कार्य तेज गति से प्रांरभ कर दिया गया है।
शाजापुर। कई ट्रेनों का शाजापुर, शुजालपुर व अन्य स्टेशन में स्टापेज नहीं है। कालापीपल रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का विस्तार करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। खरगोन जिले में 1965 से रेल की मांग की जा रही है। पटरियां खेतों में पटककर उम्मीदवारों ने चुनाव जीत लिए हैं। 2008 में सर्वे हुआ था, लेकिन घाटे के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई थी। पांच साल से रेल की मांग ने जोर पकड़ा है। ताप्ती-नर्मदा रेलवे लाइन समिति द्वारा खंडवा से लेकर आलीराजपुर तक रेल लाइन डालने की मांग की जा रही है।
सनावद तक ही हो पाया गेज परिवर्तन
खंडवा में रेलवे स्टेशन और ट्रैक विस्तार के लिए विकास कार्य चल रहे हैं। सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल इन्हें गति देकर जल्दी पूरा करवाने का दावा करते हैं लेकिन फिलहाल तो गति मंथर ही है। खंडवा-सनावद गेज परिवर्तन का काम लगभग पूरा हो गया है, पर ट्रेन नहीं दौड़ रही। क्षेत्र के लोग दो साल से मेमू ट्रेन का इंतजार है। इससे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा होगी लेकिन यह भी पूरा नहीं हो सका। सांसद प्रतिनिधि सुनील जैन का कहना है कि खंडवा जक्शंन पर चार रेलवे जोन मिलते हैं। गेज परिवर्तन और मेमू ट्रेन शुरू करने में आने वाली परेशानियों को सांसद पाटिल रेल मंत्री और अधिकारियों से मिलकर बात कर रहे हैं। बुरहानपुर में कई ट्रेनों का बुरहानपुर स्टेशन में स्टापेज नहीं है।
बड़वानी। इंदौर व खरगोन के सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों के संयुक्त प्रयासों से इंदौर-मनमाड़ सेंधवा रेलवे लाइन को लेकर सर्वे जारी है। सांसद गजेंद्रसिंह पटेल ने संसद में खंडवा धार वाया खरगोन बड़वानी एवं इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन का मुद्दा उठाया।
इंदौर : वर्षों पुरानी इंदौर-सेंधवा-मनमाड़ रेल लाइन अब भी कागजों में ही है। करीब छह साल पहले रेलवे ने इस प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाकर नीति आयोग को भेजी थी, तब से यह नीति आयोग के पास ही है। इसके बाद कैबिनेट कमेटी में प्रोजेक्ट रखा जाएगा।
