Madhya Pradesh News: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। धार जिले की कारम नदी पर तीन माह पहले बने बांध की पाल क्षतिग्रस्त होने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। अत्याधुनिक मशीनरी और तकनीक के इस्तेमाल के बाद भी बांध खतरनाक स्थिति में पहुंच गया। वहीं 90 साल से ज्यादा पुराना यशवंत सागर बांध आज भी मजबूत स्थिति में है।
शहर की पेयजल आवश्यकता को पूरा करने के लिए 92 साल पहले 1930 में होलकर शासकों ने बनवाया था। मिट्टी की होने के बाद भी तालाब की पाल बेहद मजबूत स्थिति में है। क्षमता से ज्यादा पानी भरने पर तालाब को खाली कराने के वैकल्पिक प्रबंध भले ही अब भी नए बांधों और तालाबों में नहीं हो पा रहे हों, लेकिन महाराजा तुकोजीराव होलकर ने आशापुर गांव में पाल के एक हिस्से से अतिरिक्त पानी निकालने की व्यवस्था तत्कालीन इंजीनियरों से करवाई थी।
नौ साल पहले ज्यादा वर्षा होने पर तालाब में इतना पानी आ गया था कि बांध के ऊपर से पानी बहने की स्थिति बन गई थी। उस स्थिति में मिट्टी की पाल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। तब आशापुर गांव के पास पाल से तालाब का पानी कम कर दिया गया था। इस कवायद के कारण तालाब की निचली बसाहट के गांवों में बाढ़ आने से बच गई थी।
इनका कहना है
यशवंत सागर के पास एक नाला भी है, जो गंभीर नदी में जाकर मिलता है। उस नाले के बाद की पाल से पानी बहाने की वैकल्पिक व्यवस्था तालाब निर्माण के समय की गई थी। जब मैं नगर निगम में जलकार्य समिति प्रभारी था तो यह बात मुझे पुराने अफसरों से पता चली थी। अधिक वर्षा की स्थिति में तालाब में पानी ज्यादा हो गया था, तब नाले की पाल को तोड़कर अतिरिक्त पानी निकलवाया गया था।
- मधु वर्मा