स्मार्टफोन बन गया साइलेंट किलर, 73% लोग मोबाइल की लत का शिकार, एक्सपर्ट्स ने किए चौंकाने वाले खुलासे
MP News: एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग द्वारा मोबाइल की लत से परेशान 500 लोगों पर किए गए अध्ययन के बेहद परेशान करने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं। इसके अनुसार मोबाइल अब सिर्फ एक तकनीकी उपकरण नहीं रह गया, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
Publish Date: Fri, 21 Nov 2025 01:42:42 PM (IST)
Updated Date: Fri, 21 Nov 2025 01:42:42 PM (IST)
मोबाइल की लत से परेशान 500 लोगों पर की स्टडी।HighLights
- मोबाइल की लत से परेशान 500 लोगों पर की स्टडी।
- 73 प्रतिशत लोग मोबाइल की लत से पीड़ित पाए गए।
- मोबाइल न मिलने पर घबराहट महसूस होने लगती है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग द्वारा मोबाइल की लत से परेशान 500 लोगों पर किए गए अध्ययन के बेहद परेशान करने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं। इसके अनुसार मोबाइल अब सिर्फ एक तकनीकी उपकरण नहीं रह गया, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। अध्ययन के अनुसार 73 प्रतिशत लोग मोबाइल की लत यानी डिजिटल डिपेंडेंसी से पीड़ित पाए गए।
अत्यधिक मोबाइल उपयोग के कारण लोग बिना एहसास किए मूक अवसाद (साइलेंट डिप्रेशन) का शिकार हो रहे हैं। 80 प्रतिशत प्रतिभागियों में हल्का लेकिन लगातार चलने वाला अवसाद देखा गया। औसतन लोग प्रतिदिन सात घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं। यानी साल भर में करीब 1800 घंटे यानी पूरे 75 दिन मोबाइल पर निकल जाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, मोबाइल न मिलने पर घबराहट (नोमोफोबिया), नींद में कमी, तनाव बढ़ना और बार-बार फोन चेक करने की मजबूरी जैसे व्यवहारगत लक्षण बढ़ते जा रहे हैं। बच्चों और किशोरों में इसका असर और भी गंभीर है। किशोरों में अवसाद का खतरा बढ़ रहा है और 10–14 वर्ष के बच्चों में दिमागी विकास प्रभावित हो रहा है।