नईदुनिया प्रतिनिधि,इंदौर: मां का प्यार संसार में सबसे बड़ा होता है। यह बात एक बार फिर सच साबित हुई, जब एक मां ने अपने 24 वर्षीय बेटे की जिंदगी बचाने के लिए अपनी किडनी दी। एमजीएम मेडिकल कालेज के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में दूसरी बार किडनी प्रत्यारोपण हुआ।
देवास निवासी युवक पिछले पांच वर्ष से किडनी की बीमारी से जूझ रहा था। उसकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं। बीते दो साल से उसकी डायलिसिस पर जिंदगी टिकी थी और तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था। बेटे की तकलीफ देख मां ने बिना देरी करते हुए निर्णय लिया और डाक्टरों से कहा कि मेरी किडनी ले लो, मुझे अपने बेटे को जीते हुए देखना है।
विशेषज्ञों ने बताया कि युवक आईजीए नेफ्रोपैथी नामक बीमारी से पीड़ित था। एक जुलाई को उसका किडनी प्रत्यारोपण किया गया। मां से ली गई किडनी बेटे के शरीर में सफलतापूर्वक काम कर रही है। ऑपरेशन के बाद युवक की हालत में सुधार और उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। खास बात यह है कि यह सर्जरी आयुष्मान भारत योजना के तहत पूरी तरह निश्शुल्क हुई।
इस जटिल ऑपरेशन को सफल बनाने में डॉक्टरों की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीम में किडनी रोग विशेषज्ञ डा. रितेश कुमार बनोदे, डा. पद्ममिनी सरकानुंगो, यूरोलाजिस्ट डा. अर्पण चौधरी, डा. विशाल किर्ती जैन, डा. मानस, डा. दीप, एनेस्थेटिस्ट डा. दिप्ती सक्सेना, ट्रांसप्लांट इंचार्ज डा. एकता चौरसिया, डा. प्रदीप सालगिया, डा. सुशील भाटिया आदि शामिल रहे। अस्पताल अधीक्षक डा. सुमित शुक्ला का भी सहयोग रहा।
सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में अक्टूबर 2023 में पहली बार किडनी प्रत्यारोपण हुआ था। अब दूसरी बार यह सफलता मिली है। हमारा लक्ष्य है कि माह में कम से कम दो प्रत्यारोपण किए जाए। जिससे अधिक से अधिक मरीजों को लाभ मिले। - डा. अरविंद घनघोरिया, डीन।