MP Election 2023 डा. जितेंद्र व्यास, इंदौर। कांग्रेस अब भी चुनाव की मैदानी तैयारियों में काफी पीछे है। बात मालवा-निमाड़ की करें तो कार्यकर्ताओं की नाराजगी से जूझने के बाद भी भाजपा जिस आक्रामकता और तेजी के साथ मैदान संभाले हुए है, उसकी तुलना में कांग्रेसी क्षत्रप मैदान में नजर नहीं आ रहे हैं।
अब जबकि विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और भाजपा के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों के लगातार दौरे हो रहे हैं तब भी कांग्रेसी दिग्गज अदृश्य ही हैं। जनआक्रोश यात्रा के माध्यम से किसी तरह उपस्थिति दर्ज करवाने के प्रयास अवश्य किए जा रहे हैं लेकिन वह भी क्षेत्रीय नेताओं के भरोसे। इसे लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी आक्रोश है।
भाजपा का गढ़ बन चुके मालवा-निमाड़ क्षेत्र में वर्ष 2018 का चुनाव कांग्रेस के लिए वर्षों के सूखे के बाद भरपूर वर्षा की तरह रहा। 2013 के चुनाव में जिस क्षेत्र ने भाजपा को 66 में से 57 सीटों पर जीत दिलाई थी। 2018 में यह दृश्य बदल गया था। यह क्षेत्र कांग्रेस के साथ खड़ा नजर आया था।
इंदौर संभाग के आठ जिलों की 37 सीटों में से भाजपा को महज 11 सीटें ही मिलीं थीं। जबकि उज्जैन संभाग की 29 सीटों में भाजपा को 17 सीटों पर ही सिमटना पड़ा था। इस कारण भाजपा इस क्षेत्र में खासा जोर लगा रही है। वहीं कांग्रेस की गतिविधियां भी कम हैं और आपसी खींचतान भी सतह पर आ रही है।
अब चुनावी बेला नजदीक है, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पास अक्टूबर में प्रियंका गांधी के आने के अलावा और किसी बड़े नेता की आवाजाही की सूचना नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ महाकाल की सवारी में शामिल होने अगस्त में उज्जैन में थे।
कांग्रेस न सिर्फ एकजुट है बल्कि बहुत मजबूत स्थिति में है। हम लगातार काम कर रहे हैं। मालवा-निमाड़ में नियमित गतिविधियां भी हो रही है। बीच में जरुर सीईसी की मीटिंग वगैरहा की वजह से बड़े नेता नहीं आ पाए लेकिन हम लगातार सक्रिय हैं। अब लगातार बड़े नेताओं के दौरे और सभाएं होंगी। -अमीनुल खान सूरी, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस