MP Elections 2023: इंदौर की कान्ह-सरस्वती नदी की गुहार, आखिर कब होगा हमारा उद्धार
MP Elections 2023: पांच चुनाव, 1000 करोड़ से ज्यादा खर्च फिर भी शुद्ध नहीं नदियां। ...और पढ़ें
By Prashant PandeyEdited By: Prashant Pandey
Publish Date: Thu, 19 Oct 2023 08:41:23 AM (IST)Updated Date: Thu, 19 Oct 2023 08:41:23 AM (IST)
HighLights
- इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदियों के शुद्धीकरण की कवायद 35 वर्षों से चल रही है।
- इन 35 वर्षों में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं।
- विधानसभा चुनाव में कुछ दिन बाकी हैं। एक बार फिर नदियों के शुद्धीकरण का मुद्दा उठ रहा है।
MP Elections 2023: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर की कान्ह और सरस्वती नदियों के शुद्धीकरण की कवायद 35 वर्षों से चल रही है। इंदौर की नाला बन चुकी नदियों को सीवरेज से मुक्त कराने के नाम पर इन 35 वर्षों में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं, लेकिन नाले नदियों में नहीं बदल सके। वर्षों से विधानसभा चुनाव से पहले दोनों राजनीतिक दल शहरवासियों को भरोसा दिलाते हैं कि जल्दी ही इन नदियों का शुद्धीकरण किया जाएगा।
शहरवासी इन नदियों में बोटिंग भी कर सकेंगे। इन नदियों में कभी जल परिवहन की संभावनाएं तलाशने की बात हुई तो कभी
रिवर साइड कारिडोर के नाम पर नदियों के किनारों के सुंदरीकरण की बात हुई। हर बार दावा तो होता है लेकिन जमीन पर काम नजर नहीं आता।
विधानसभा चुनाव में कुछ दिन बाकी हैं। एक बार फिर नदियों के शुद्धीकरण का मुद्दा उठ रहा है। कान्ह और सरस्वती नदियां अब तो सियासत से पूछ रही हैं कि आखिर हमारा उद्धार कब होगा। क्या हमें हमेशा यूं ही नाले के रूप में रहना होगा।
कान्ह और सरस्वती नदियों के शुद्धीकरण के नाम पर हर बार शहरवासियों को ठगा गया। हर बार उन्हें सपना दिखाया गया कि इन नदियों में नाव चलेगी, नदियों किनारे बगीचे होंगे। लोग इन बगीचों में टहल सकेंगे, लेकिन होता कुछ नहीं है। आज भी नदियों में गंदा पानी मिल रहा है। हालत यह है कि नदियां बदबूदार हैं। उनमें नाव चलाना तो दूर उनके किनारे खड़े रहना तक मुश्किल है। दरअसल नदियों के शुद्धीकरण की बात 1990 के दशक में शुरू हुई थी।
नदियों के किनारे पाइप बिछाने की कवायद
करीब 35 वर्ष पहले नदियों के शुद्धीकरण का काम शुरू हुआ था। उस वक्त नदियों के किनारे पाइप बिछाने की कवायद शुरू हुई। नौकाविहार शुरू हुआ था और फव्वारे भी चले थे।
कृष्णपुरा क्षेत्र में दुकानें भी बनाई गईं थी, लेकिन वर्षाकाल में जब पानी बस्तियों में घुसने लगा तो पूरी योजना फैल हो गईं। नदियों के किनारे बनाई गई रिटेनिंग वाल तो तोड़कर पानी निकालना पड़ा।
करोड़ों रुपये पानी में चले गए। बाद में नदियों के शुद्धीकरण का काम वर्षों तक ठंडा रहा। कृष्णमुरारी मोघे के महापौर कार्यकाल में नाला टेपिंग का प्रोजेक्ट फिर शुरू हुआ। नालों के आसपास लाइन बिछाने की कवायद शुरू हुई। नाला टेपिंग के आसपास ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाए गए। इस पर एक बार फिर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन हालत जस के तस रहे। गंदे पानी के आउटफाल ही रोके नहीं जा सके।
किनारों पर पेड़ लगाने का था सुझाव
शहर के पहले
मास्टर प्लान में सुझाव दिया गया था कि कान्ह और सरस्वती नदियों के दोनों तरफ सघन पेड़ लगाए जाएं ताकि नदियों का प्राकृतिक बहाव बना रहे, लेकिन इस सुझाव पर कभी काम नहीं हो सका। नदियों के किनारे पेड़ लगाने के बजाय अवैध निर्माण होते रहे और जिम्मेदार आंख मूंदकर बैठे रहे। हालत यह है कि इन तीन दशकों में दर्जनों बस्तियां बस गईं।
नाला टेपिंग के नाम पर करोड़ों का चूना लगा
कुछ वर्ष पहले भी नाला टेपिंग के नाम पर करोड़ों रुपये पानी में बहा दिए गए। नालों को पाइप डालकर बंद करने के बाद वर्षाकाल में बस्तियों में पानी भराने लगा और इस बार भी पाइपों को फोड़कर पानी निकालना पड़ा।
ये भी हैं नदियों की बदहाली की वजह
- नियमों को दरकिनार करते हुए नदियों के किनारे पर बस्तियां बसती रहीं।
- नदियों को किसी बड़ी नदी से लिंक नहीं किया गया। अगर इसे नर्मदा या अन्य किसी नदी से लिंक किया जाए तो इनमें वर्षभर पानी बना रह सकता है।
- नाला टेपिंग योजनाबद्ध तरीके से नहीं किया गया। अगर नाला टेपिंग शत प्रतिशत सफल होता तो नदियों को आसानी से शुद्ध किया जा सकता था।
- नदियों के किनारों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की सिर्फ योजनाएं बनीं, कभी काम नहीं हुआ।
निश्चित ही शुद्ध होंगी नदियां
वर्ष 1983 के भाजपा के घोषणा पत्र में हमने कान्ह और सरस्वती को इंदौर की जीवन रेखा बनाने का वादा किया था, लेकिन आर्थिक समस्याओं के चलते यह योजना मूर्तरूप नहीं ले सकी। कांग्रेस के कार्यकाल में नदियों के दोनों तरफ अवैध बस्तियां बसीं। जो जमीन नदियों के संरक्षण में काम आ सकती थी वहां अवैध बस्तियां बन गईं। निकट भविष्य में ये दोनों ही नदियां शुद्ध होंगी। हमने इसकी योजना तैयार कर भी ली है।
-बाबूसिंह रघुवंशी, वरिष्ठ भाजपा नेता
कान्ह और सरस्वती नदियों के शुद्धीकरण को लेकर सिर्फ योजनाएं बनाई गईं। इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर कभी कोई काम नहीं हुआ। नाला टेपिंग के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हुए लेकिन हालत जस के तस हैं। वर्षाकाल में पाइपों को फोड़ना पड़ा।
-प्रमोद द्विवेदी, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस