
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर: स्पेशल इंसेंटिव रिविजन (SIR) के चलते स्थानीय निकाय चुनावों की मतदाता सूची तैयार करने और नगर पालिका अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने शासन से पूछा कि मतदाता सूची पर आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार किसी दूसरे वार्ड के मतदाता को क्यों नहीं दिया गया है।
यह याचिका दिलीप कौशल की ओर से एडवोकेट विभोर खंडेलवाल और जयेश गुरनानी ने दायर की है। एडवोकेट खंडेलवाल के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग के नियम और मप्र नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों में विरोधाभास है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जिस नगर पालिका क्षेत्र की मतदाता सूची में किसी व्यक्ति का नाम दर्ज है, वह उस क्षेत्र के किसी भी वार्ड से चुनाव लड़ सकता है, लेकिन आपत्ति केवल उसी वार्ड में दर्ज कर सकता है, जहां वह निवासी है।
इंदौर में दो हजार से ज्यादा लोगों के पते मतदाता सूची में ‘जीरो’ अंकित हैं। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में आपत्ति लगाई थी, मगर इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि नियम के अनुसार केवल संबंधित वार्ड का ही मतदाता आपत्ति दाखिल कर सकता है।
इसी प्रकार अगर किसी मतदाता के नाम से जुड़े विवरण में त्रुटि है, तो कानून के तहत वह किसी वकील को अधिकृत नहीं कर सकता; उसे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखना अनिवार्य है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद शासन को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 26 नवंबर को तय की गई है।
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