MP Liver Transplant: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। लिवर की बीमारी से पीड़ित पिता की जान बचाने के लिए नाबलिग बेटी द्वारा किए गए प्रयास अब रंग लाते नजर आ रहे हैं। बेटी से मिले लिवर को पाकर पिता मौत के मुंह से बाहर आ गए हैं। अस्पताल में वे डॉक्टरों की निगरानी में हैं, वहीं लिवर देने वाली बेटी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से अनुमति मिलने के बाद नाबालिग बेटी प्रीति ने अपने पिता शिवनारायण बाथम को 28 जून को लिवर दिया था। अस्पताल में ट्रांसप्लांट के बाद अब पिता की हालत में सुधार हो गया है। उन्हें आइसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। वहीं शनिवार को बेटी को डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया है।
लिवर पाकर पिता के अंदर जीने की नई उम्मीद जाग गई है। हालांकि वह अभी किसी से ज्यादा बात नहीं कर रहे हैं। स्वजन ने बताया कि वह इस बात से खुश हैं कि बेटी उन्हें लिवर दे पाई है। वह कहते हैं कि बेटी ने मेरी जान बचा ली है।
अभी पिता की हालत में 50 प्रतिशत तक सुधार देखा गया है। एक सप्ताह अभी और उन्हें डाक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद हालत में सुधार होता है तो उन्हें भी घर भेज दिया जाएगा।
लंबे समय से अस्पताल में भर्ती पिता अब घर जाकर अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं। वह स्वजन को यह भी कहते हैं कि उन्हें अब जल्दी घर जाना है।
परिवार के अन्य सदस्यों के चेहरों पर भी अब खुशी लौट आई है। वह इस बात से खुश हैं कि अब परिवार का मुखिया ठीक हो रहा है। वह रोजाना उनके लिए अस्पताल में भगवान से प्रार्थना करते हैं।
प्रीति को डिस्चार्ज कर दिया गया है। वहीं शिवनारायण का इलाज अभी चल रहा है। उन्हें आइसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया है। उनकी हालत में सुधार हो रहा है। - डॉ. अमित बर्फा
कानून से लड़ी बेटी प्रीति की लड़ाई अब सफल होती हुई नजर आ रही है। क्योंकि पिता की हालत में सुधार हो रहा है। उसके लिए यह काफी गर्व की बात है कि वह पिता के लिए लड़ी। वह अभी घर पर अपने परिवार के साथ है। परिवार के सभी सदस्यों को हिम्मत दे रही है कि अब पापा जल्दी ठीक होकर घर आ जाएंगे।