MP News: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर के करीब रतलाम-खंडवा ब्राडगेज रेल लाइन प्रोजेक्ट के पातालपानी-मुख्तियारा बलवाड़ा रेलखंड के 65 किमी के हिस्से को बनाने में 80 हजार पेड़ों की बलि दी जाएगी। हालांकि वन विभाग के अफसर 60 हजार पेड़ों के कटने की ही बात स्वीकार रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में करीब 428 हेक्टेयर जंगल नष्ट हो जाएगा।
रेलवे इस जमीन के बदले इतनी जमीन जुटाकर वन विभाग को देगा। इन पेड़ों के बदले झाबुआ में पौधारोपण किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट एक पेंच फंसा हुआ है। इस हिस्से के लिए रेलवे को वन विभाग की 428 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, लेकिन बदले में रेलवे को इतनी ही जमीन वन विभाग को देना होगी।
रेलवे ने प्रदेशभर में जमीन खोज ली है, उसे अब तक दो ही जिलों में करीब 50 हेक्टेयर जमीन मिल पाई है। रतलाम-खंडवा ब्राडगेज रेल लाइन प्रोजेक्ट में पातालपानी से ओंकारेश्वर रोड स्टेशन तक कुल 87 किमी लंबी ब्राडगेज लाइन बिछाई जाना है।
इसमें पातालपानी से मुख्तियारा बलवाड़ा तक 65 किमी के रेलखंड के लिए 428 हेक्टेयर वनभूमि की जरूरत है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इंदौर वन क्षेत्र की 328 और खरगोन की करीब 100 हेक्टेयर जमीन रेल प्रोजेक्ट में उपयोग होगी। यहां करीब 70 से 80 हजार पेड़ों को काटा जाएगा।
पेड़ों की गिनती चल रही है
ब्राडगेज लाइन प्रोजेक्ट में काटे जाने वाले पेड़ों की गिनती चल रही है। अनुमान लगाया जा रहा है कि करीब 60 हजार से अधिक पेड़ों को काटा जाएगा। - महेंद्र सिंह सोलंकी, डीएफओ, इंदौर वन मंडल
जिस दौर में केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक पौधारोपण के लिए जी-जान लगा रही हैं और प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत पौधे रोपने की अपील कर रहे हैं, उसी दौर में इंदौर के समीप चोरल में 100 पेड़ काट दिए गए है।
काटे गए ये पेड़ चोरल वनक्षेत्र में थे तथा बड़े और पूरी तरह स्वस्थ थे। इन पेड़ों की रक्षा वन विभाग के जिम्मे थी। वन विभाग के उड़नदस्ते ने ही पेड़ों की कटाई का वास्तविक आंकड़ा छिपाया है। रिपोर्ट में केवल 22 ताजे पेड़ों के ठूंठ बताए हैं।
उड़नदस्ते ने जंगल में आग लगने से जल गए ठूंठों का गोलमोल उल्लेख तो किया है, मगर ऐसे ठूंठों के आंकड़े को रिपोर्ट में स्पष्टता से नहीं दर्शाया है। अब आंकड़े नहीं बताने के पीछे असल वजह यह है कि जंगल में पेड़ अधिक कटते हैं, तो वसूली और कार्रवाई के दायरे में बड़े अधिकारी भी आते हैं। अवैध कटाई की शिकायत मुख्यालय तक पहुंच गई है। वनकर्मियों को नोटिस देने की तैयारी भी हो गई है।
जंगल में हुए नुकसान की भरपाई अफसरों से लेकर वनकर्मियों से ही की जाती है। जितने पेड़ कटे, उस अनुपात में छोटे से बड़े अफसर तक कार्रवाई के दायरे में आते हैं। इनमें बीट गार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंजर, एसडीओ, डीएफओ, सीसीएफ तक से वसूली की जाती है।
कटाई की जांच हुई पूरी
चोरल वनक्षेत्र में हुई अवैध कटाई की जांच पूरी हो चुकी है। सीसीएफ कार्यालय से उड़नदस्ते की रिपोर्ट मिली है। अब वनकर्मियों को नोटिस दिए जाएंगे। - महेंद्र सिंह सोलंकी, डीएफओ, इंदौर वनमंडल