
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। नया GST लागू होने के बाद वाहनों की कीमत घटने से खरीदारों को राहत मिल गई, लेकिन ऑटोमोबाइल डीलरों का करोड़ों रुपया उलझ गया है। देश में कम से ढाई हजार करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश में कम से कम ढाई सौ करोड़ रुपये सरकारी खजाने में फंस गए हैं।
ये वो टैक्स है जो पुराने स्टॉक पर ऑटोमोबाइल डीलर एडवांस में भर चुके थे। बिक्री के बाद उन्हें ना तो टैक्स मिला ना सरकार इसकी वापसी पर कोई रास्ता निकाला।
अब फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। मप्र और इंदौर के ऑटोमोबाइल डीलर्स भी इसमें शामिल है। 22 सितंबर से देश में संशोधित जीएसटी 2.0 लागू हुआ था।
दरअसल इस तारीख से पहले तक वाहनों की बिक्री पर जीएसटी तो लग ही रहा था इसके साथ एक अन्य कर जिसे कॉम्पेनसेशन सेस (मुआवजा उपकर) कहा जाता था लागू होता था। कर सलाहकार आरएस गोयल के अनुसार वाहनों की कंपनियों से बुकिंग के समय ही कंपनियां इस कर को डीलरों से वसूल लेती थी और बिल में शामिल करती थी।
बाद में वाहनों की बिक्री होने पर यह टैक्स वाहन खरीदार देता था। 22 सितंबर से जीएसटी की दर घटाने के साथ वाहनों पर कंपनसेशन सेस पूरी तरह खत्म कर दिया। जो टैक्स गाड़ियों के पुराने स्टाक पर डीलरों से वसूल कर शासन के खजाने में पहुंच गया था उसकी क्रेडिट लेने की अनुमति भी डीलरों को नहीं दी जा रही ना ही ऐसा कोई प्रविधान सरकार की ओर से किया गया है कि समाप्त हुए इस टैक्स की राशि का रिफंड डीलर प्राप्त करते रहे।
इस दिशा में कोई हल नहीं मिलता देख फेडरेशन ने अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। क्योंकि सरकार के बदलाव से यह पैसा लैप्स टैक्स की तरह डूबत खाते में चला गया है। ऑटोमोबाइल डीलर्स की लागत बढ़ा रहा है लेकिन डीलर्स के नकदी प्रवाह, स्टाक मूल्यांकन और बैंक फाइनेंस पर भी इसका असर पड़ रहा है।
एसोसिएशन ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव विशाल पमनानी कहते हैं नियम में बदलाव के बाद या तो पुराने वाहन स्टॉक पर चुकाए टैक्स के बिल में हमें उपकर जोड़ने की छूट देना था या सरकार को वह टैक्स रिफंड करना था।
इस बारे में डीलर्स लगातार वित्त मंत्रालय को लिखते रहे। अब तक कोई जवाब नहीं आया। कोई रास्ता नहीं निकलता देख फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के जरिए सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खटखटाया है, क्योंकि यह सिर्फ एक शहर और राज्य की नहीं पूरे देश के ऑटोमोबाइल डीलर्स की समस्या बन चुका है।
अनुमान है कि उपकर पर बदले नियम से देशभर के आटोमोबाइल डीलर्स के कम से कम ढाई हजार करोड़ रुपये शासन के खजाने में अटक गए हैं। मप्र से यह आंकड़ा करीब ढाई सौ करोड़ और सिर्फ इंदौर के डीलर्स का आंकड़ा ही 75 करोड़ का माना जा रहा है। यह बड़ी राशि है जो किसी भी व्यवसाय की लागत को प्रभावित करती है। आरएस गोयल, कर सलाहकार