
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। जंगली जानवरों को बचाने को लेकर वन विभाग कितना गंभीर है। इसका अंदाजा उसके नए फरमान से ही लगाया जा सकता है। विभाग ने प्रदेशभर में जानवरों के रेस्क्यू से जुड़े नियमों में बदलाव कर दिया है।
अब दल सूचना मिलते ही सीधे जानवरों को बचाने के लिए नहीं जा सकेगा। उसे रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों की लिखित अनुमति अनिवार्य रूप से लेनी होगी।
इस आदेश ने एक नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि अधिकांश वनकर्मियों का मानना है कि यदि अनुमति मिलने का टीम इंतजार करती है तो जानवर किसी पर भी हमला कर सकता है या फिर भीड़ जानवरों को नुकसान पहुंचा सकती है। फिलहाल विभाग ने इन नियमों का सख्ती से पालन करने की हिदायत दी है।
सप्ताहभर पहले वन विभाग मुख्यालय ने वन्यप्राणियों के रेस्क्यू और संसाधनों से जुड़े नियमों में बदलाव किया है। इस संबंध में इंदौर वनमंडल में अधिकारियों की बैठक भी हुई, जिसमें वन संरक्षक पीएन मिश्रा, डीएफओ प्रदीप मिश्रा, डीएफओ वन्यप्राणी रितेश सिरोठिया सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। बैठक में अधिकारियों ने रेस्क्यू सूचना रिपोर्ट प्रणाली को तत्काल प्रभाव से लागू करने पर जोर दिया है।
जानवरों के रेस्क्यू के बारे में पता चलते ही अधिकारियों को रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें स्थान, समय, टीम के नाम, घटना का प्रकार व चिकित्सकीय विवरण अनिवार्य रूप से दर्ज किए जाएंगे। जानकारी भेजने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति का इंतजार करना होगा। इसे लेकर कुछ अधिकारियों ने व्यावहारिक दिक्कतों पर सवाल किए। उन्होंने कहा कि अनुमति मिलने में देरी होने पर वन्यप्राणी को बचाने में मुश्किलें आएंगी।
यहां तक कि जानवर कई लोगों पर हमला भी कर सकते हैं। इस पर अफसर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि बाघ-तेंदुए सहित शेड्यूल-1 के प्राणियों से जुड़ी घटनाओं में अनिवार्य रूप से प्रकरण दर्ज किया जाए। यहां तक कि रेस्क्यू करने के बाद जानवरों को छोड़ने में भी वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा गया, क्योंकि अधिकांश वनमंडल की रेस्क्यू टीम बगैर अनुमति लिए जानवरों को जंगल में छोड़ देती है।
अधिकारियों के मुताबिक महिला अधिकारियों को भी रेस्क्यू दलों में शामिल किया जाएगा। वैसे प्रदेशभर में चार नई रेस्क्यू टीमों को गठित किया जाएगा। उनमें चार सदस्यों को वन्यप्राणियों के बारे में प्रशिक्षण देंगे।
वन्यजीव घायल होने पर उपचार के बाद जंगल में छोड़ने व शिफ्टिंग की प्रक्रिया सिर्फ वीडियो साक्ष्य के साथ होगी। रेस्क्यू दल का बनेगा वाट्सएप ग्रुप प्रदेशभर में वन्यप्राणियों के रेस्क्यू को लेकर एक वाट्सएप ग्रुप भी बनाया जाएगा।
इसके माध्यम से टीमें आपस में समन्वय करेंगी। साथ ही रेस्क्यू करने वाले जानवरों का डेटाबेस भी तैयार होगा ताकि भविष्य में इन्हें इस्तेमाल किया जा सकेगा। टीम का दायरा घटा रालामंडल अभयारण्य को रेस्क्यू टीम की जिम्मेदारी दे रखी है।
पहले इंदौर, खंडवा और उज्जैन वृत्त में आने वाले 14 जिलों में जानवरों को बचाने टीम जाती थी। इनमें इंदौर, धार, आलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, देवास सहित अन्य जिले शामिल थे।
अब नए आदेश जारी होने के बाद टीम का दायरा घटा दिया गया है। अब रालामंडल की टीम सिर्फ चार जिलों में जानवरों को रेस्क्यू करने जाएगी। जबकि बाकी जिलों में अब एक-एक रेस्क्यू टीम बनानी होगी। उन्हें भी प्रशिक्षण देने का काम रालामंडल को दिया गया है।
बैठक में वन्यजीव संरक्षण और बचाव कार्यों को लेकर निर्णय लिया गया है। वैसे रेस्क्यू पर जाने से पहले वाट्सएप ग्रुप पर टीम को जानकारी देनी होगी। उस पर अधिकारियों द्वारा दी अनुमति को मान्य किया जाएगा। बाकी औपचारिकता वनमंडल कार्यालय को करनी होगी। बचाव कार्य खत्म होने के बाद टीम को रिपोर्ट देनी होगी। -प्रदीप मिश्रा, डीएफओ, इंदौर