नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Indores New Tourist Destination)। आढ़े-तेढ़े रास्ते, कभी घुमावदार मोड़ तो कभी सरपट दौड़ते वाहनों से पटी रोड, कभी चढ़ाई तो कभी उतार, कभी पक्की सड़क पर भागते वाहनों का कारवां तो कभी पथरिले रास्ते पर आगे निकलने की जद्दोजदह करते राइडर। मकसद केवल इतना ही कि सुकून की तलाश। ऐसे स्थान पर जाना जहां प्राकृतिक सुंदरता भी हो और शांत वातावरण भी।
जहां परिंदों का कलरव भी हो और दूर-दूर तक पसरा सन्नाटा भी। जहां दरख्तों से नाता तोड़ते पत्तों का कालीन भी बिछा हो और जहां नवकोपलों का नर्म स्पर्श टहनियों पर किया जा सके। ऐसे खूबसूरत स्थान और यादगार सफर की तलाश पूरी करने के लिए इंदौरियों को बहुत ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं।
शहर के आसपास ऐसे कई पर्यटक स्थल हैं जहां जाकर आप अपने दिल का चैन, आंखों का सुकून और स्मृतियों में सहेजने का खजाना बटोर सकते हैं। गर्मी के मिजाज अब तेज होने लगे हैं। ऐसे में हम इंदौरियों के सामने जो चुनौती है वह है ऐसे पर्यटक स्थल की तलाश की, जहां इस मौसम में जाया जा सकता हो और कम वक्त में लौटकर भी आया जा सकता हो।
इस समस्या का समाधान करते स्थान का नाम है जोगी कुंड। जो कि शहर से करीब 30 से 40 किमी दूर स्थित है। इस प्राकृतिक स्थल के बारे में बहुत ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं होने से वर्तमान में यहां आवागमन कम होता है, इसलिए यहां शांति का अनुभव किया जा सकता है।
इस मौसम में भी मिलेगा पानी
इस मौसम में भी यहां नदी और कुंड में पानी नजर आएगा। पानी कम ही है, लेकिन स्वच्छ बहुत है। कुंड कितना गहरा है इस बारे में नहीं कहा जा सकता, इसलिए बेहतर होगा कि कुंड में उतरने के बजाय किनारे पर ही बैठें और ठंडक चाहें तो कुंड के बाहर जहां से पानी बह रहा है वहां जरूर पैर पानी में डाल कर बैठ सकते हैं।
वैसे इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि नदी और कुंड का पानी जब मटमैला होता दिखे या थोड़ा भी बहाव तेज होता महसूस हो तो तुरंत दूरी बना लें,क्योंकि हो सकता है कि चोरल नदी पर बने डेम का पानी छोड़ा जा रहा हो जिससे बहाव बढ़ जाए।
जिन्हें रोमांच से भरा सफर बहुत पसंद है, उनके लिए यह एक मुनासिब यात्रा हो सकती है। अव्वल तो उबड़-खाबड़ रास्ते से जाने का मजा, उसके अलावा वाहन से नदी पार करने का रोमांच और बात यहीं खत्म नहीं होती हो सकता है कि आपको यहां वन्य पशु भी दिख जाएं।
वैसे बीते कुछ समय में यहां हिंसक वन्य पशुओं की आवाजाही भी बढ़ी है, इसलिए बेहतर होगा कि आप बड़े समूह में ही यहां जाएं और शाम शुरू होने से पहले नाचनबोर तक लौट आएं। जोगी कुंड तक पहुंचने के लिए तिल्लोर खुर्द के बाद कोई साइन बोर्ड नहीं है, ऐसे में रास्ता भी भटक सकते हैं। बेहतर होगा कि ग्रामीणों की मदद लें और सही मार्ग पर बढ़ें। चूंकि रालामंडल से जोगी कुंड तक खूब वृक्ष लगे हैं, खेत भी हैं तो आपको हरियाली ही मिलेगी।
अभी यह पर्यटक स्थल विकसित नहीं हुआ है। इसलिए भोजन-पानी यहां तक की चाय-नाश्ता भी आपको यहां नहीं मिलेगा। बेहतर होगा कि आप भोजन-पानी अपने साथ ही लेकर जाएं। रास्ता पथरीला भी है, इसलिए वाहन दुरूस्त ही रखें और पावरबैंक, फर्स्टएड बाक्स, टार्च भी साथ लेकर जाएं ताकि मुश्किल वक्त को आसान बनाया जा सके।
इस यात्रा को बेहतर ढंग से पूरी करने और गंतव्य तक पहुंचने के बारे में जानकारी साझा करते हुए महू राइडर्स क्लब के हर्षेश घटोदा बताते हैं कि इंदौर से जोगी कुंड जाने के लिए पहले रालामंडल जाना होगा। रालामंडल से आगे बढ़ेंगे तो तिल्लोर खुर्द होते हुए घाट तक पहुंचेंगे। घाट पार करके आप नाचनबोर पहुंच पाएंगे।
नाचनबोर से जब थोड़ा आगे बढ़ते हैं तो दाहिनी ओर रास्ता नजर आएगा। इस मार्ग पर आगे बढ़ने पर एक नदी नजर आएगी। सफर का असली मजा यहीं से शुरू होता है। इस नदी को पार करने के लिए नदी में वाहन उतारना पड़ता है। इस मौसम में इस नदी में पानी कम ही रहता है इसलिए वाहन से नदी पार हो जाती है। रिवर क्रासिंग एडवेंचर एक्टिविटी का यह एक बेहतर पड़ाव साबित होगा।