Indore Crime News: इंदौर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। क्षिप्रा थाना क्षेत्र के ग्राम कदवाली में चार साल के मासूम बच्चे की मौत के मामले में सोमवार को खुलासा हुआ। जिसमें बच्चे के साथ सोने वाले परनाना ने ही चादर से उसका मुंह दबा कर उसकी हत्या की। परनाना ने संपत्ति में हिस्सा ना देना पड़े, इसलिए बच्चे को जान से मार डाला। इसके लिए उन्होंने पहले से ही मारने की योजना बना ली थी। पुलिस ने मामले में आरोपित परनाना शोभाराम चौधरी (80) को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस मामले को लंबे समय से सुलझाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन परिवार वाले बात करने को तैयार नहीं थे। पुलिस के अनुसार सात अप्रैल को चार साल के बच्चे की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी दम घुटने की बात सामने आई थी, लेकिन डाक्टर भी इसे समझ नहीं पा रहे थे।
पुलिस ने मामले की गंभीरता से जांच की तो परिवार के बीच का ही केस था। हमारे पास कोई सबूत भी नहीं था, ना ही कोई सीसीटीवी कैमरा वहां लगा हुआ था। हम एक माह से परिवार के सदस्यों से सवाल कर रहे थे। मां दो साल से मृतक श्रेयांश के साथ मायके में रह रही थी। इस बात से घर में रहने वाले मां नीतू के माता-पिता और चाचा आदि परेशान हो रहे थे, वह इन्हें बोझ मानते थे। इसके चलते इन्होंने गलत व्यवहार भी करना शुरू कर दिया था।
यह देखकर परनाना शोभाराम को लगता था कि श्रेयांस के कारण ही यह सब हो रहा है। उन्हें यह भी लगता था कि अगर श्रेयांश हमेशा यहां रहेगा तो आगे जाकर संपत्ति में हिस्सा भी मांगेगा। घटना दिनांक को नीतू ने रात 10.30 रोजना की तरह बच्चे को परनाना के पास सुला दिया।
डेढ़ घंटे बाद बच्चा शौचालय जाने के लिए उठा और रोने लगा तो परनाना को लगा कि इसे खत्म करना ही सहीं है क्योंकि इसी के कारण घर में आपसी लड़ाई हो रही है। परनाना ने जो चादर वह ओढ़ते थे, उसी को एकठ्टा कर उसके मूंह पर दबा दिया। जिसमें सांस रुकने से उसकी मौत हो गई। परनाना मीडिया से बात करते हुए भी कहता रहा कि कौन पालता उसको इसलिए मार दिया।
पुलिस को था मां पर शक
पुलिस को पहले मां नीतू पर शक था। मां पीएससी की पढ़ाई के लिए कोचिंग जाती थी। इसलिए लगता था कि माता-पिता उन्हें यहां रहना पसंद नहीं करते थे। वह श्रेयांश को अच्छी जिंदगी नहीं दे पा रही थी,इसलिए उसे मारा होगा, लेकिन पुलिस का यह शक गलत निकला। वहीं शोभाराम को पोती के प्रति काफी स्नेह था, उन्हें लगता था कि जो भी जड़ है वह यहीं है।
बुजुर्ग परनाना कर सकते हैं ऐसा, सोच नहीं पाई पुलिस
पुलिस को शुरूआत से ही श्रेयांश की मृत्यु शंकास्पद लग रही थी। पुलिस ने कई तरीके अपनाए, लेकिन परिवार का कोई भी सदस्य इस बारे में ज्यादा बात नहीं कर रहा था। मामले में पुलिस ने सभी से बात की, लेकिन वह बुजुर्ग परनाना के बारें में सोच नहीं पाई। पुलिस जब भी परिवार के सदस्यों से पूछताछ के लिए जाती थी तो परनाना वहीं बैठा रहता था। पहले पुलिस को मां के ऊपर शक था, लेकिन जब उसपर से शक हटा तो परनाना पर आया। कई बार हुई पूछताछ में पुलिस को घुमाते रहे, लेकिन बाद में टूट गए। पुलिस ने मनोवैज्ञानिक आधार पर मामला पारिवारिक सदस्यों के बीच का होने से एवं मृतक के ननिहाल पक्ष के साक्ष्य से हल पहलू पर चर्चा कर पूछताछ की।
दो साल से यहां रहता था श्रेयांश, ताने मारते थे माता-पिता और चाचा
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण हितिका वासल ने बताया कि मृतक श्रेयांश की मां नीतू व पिता सुमित चौधरी के बीच देहज प्रताड़ना का प्रकरण दर्ज होने के उपरांत नीतू दो वर्ष से अपने मायके में रह रही थी। नीतू व मृतक श्रेयांश मायके पक्ष में रहने व खर्चा वहन करने के आर्थिक बोझ के कारण माता-पिता, चाचा के द्वारा उपेक्षापूर्ण व्यवहार कर ताने मारते थे कि यह (नीतू यहां रहने आ गई, अपना घर नहीं बसा रही, किसी दिन श्रेयांश अपनी सम्पत्ति पर हिस्सेदार हो जाएगा)। इस तरह मानसिक रूप से परेशान करते थे जो नीतू के दादा शोभाराम चौधरी से नीतू की परेशानी नही देखी जा रही थी। वह तनाव में रहते थे कि बच्ची का क्या होगा। नीतू एवं श्रेयांश के साथ परिजनों के उपेक्षापूर्ण व्यवहार से काफी दुखी था। आरोपित ने बच्चे को इसलिए भी मारा ताकि वह श्रेयांश मर जायेगा तो मेरी पोती नीतू का दूसरी जगह घर बसवा दूंगा।