नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। एमवायएच चूहाकांड में हाई कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर दायर की गई जनहित याचिका में सोमवार को आदेश जारी हो गया। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से पूछा कि दो नवजातों की मौत के मामले में अब तक एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई।
लोक निर्माण विभाग को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने कहा है कि वह बताए कि एमवाय अस्पताल सहित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के भवनों की आंतरिक और बाह्य स्थिति कैसी है। ये भवन कितने साल और चल सकते हैं। इनकी स्थिति सुधारने के लिए कितनी राशि की आवश्यकता होगी।
कोर्ट अब इस मामले में दो सप्ताह बाद फिर सुनवाई करेगी। एमवाय अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की एनआइसीयू में भर्ती धार और देवास जिले के दो नवजातों के अंग 31 अगस्त और एक सितंबर की दरमियानी रात चूहों ने कुतर दिए थे। उपचार के दौरान ही दोनों नवजातों की मौत हो गई थी। इस मामले में 10 सितंबर 2025 को मप्र हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर और एडवोकेट कीर्ति पटवर्धन को न्याय मित्र बनाया है। कोर्ट ने मामले में जिला प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था, जो पेश हो गई। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा है कि प्रशासन यह सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है कि नवजातों की मौत चूहे के काटने से नहीं, बल्कि कई जन्मजात विकृतियों के कारण हुई थी।
उनका कहना है कि एमजीएम मेडिकल कालेज को कर्मचारियों की कमी, लोक निर्माण विभाग द्वारा भवन के खराब रखरखाव आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था, जो सोमवार को जारी हुआ। तीन पेज के आदेश में कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से कहा है कि वे बताएं कि मामले में अब तक एफआइआर दर्ज क्यों नहीं हुई।
कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग से एमजीएम मेडिकल कॉलेज भवन सहित अन्य भवनों के सुधार कार्य को लेकर डीपीआर तैयार करने के लिए भी कहा है।