इंदौर, 8 सितंबर, 2025: कहते हैं कि जिस घर में दादा-दादी और नाना-नानी हैं, वह घर स्वर्ग है। ग्रैंड पेरेंट्स महज़ परिवार के बुज़ुर्ग सदस्य नहीं होते, बल्कि वे घर और परिवार की आत्मा, मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत होते हैं। उनका प्यार, धैर्य और अनुभव परिवार के हर सदस्य के लिए स्थायी आधार बनता है।
एक घर वास्तव में तब घर लगता है, जब उसमें दादा-दादी और नाना-नानी की आवाज़ गूँजती है। उनकी हँसी, कहानियाँ और छोटे-छोटे उपदेश घर को जीवंत बनाते हैं। वे जीवन के उतार-चढ़ाव में सही मार्गदर्शन देते हैं, परिवार को एकजुट रखते हैं और बच्चों से लेकर युवाओं तक को मूल्य और संस्कार सिखाते हैं। बुज़ुर्गों के अनुभव हमें समझदारी, सहनशीलता और साहस के महत्व का एहसास कराते हैं। उनके साथ बिताया हर पल हमें यह सिखाता है कि जीवन के छोटे-छोटे क्षण ही सबसे अमूल्य होते हैं।
ग्रैंड पेरेंट्स महज़ पारिवारिक जीवन में ही नहीं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने में योगदान देते हैं। उनका मार्गदर्शन नई पीढ़ी को प्रेरित करता है, उनके अनुभव और स्नेह जीवन को सरल, खुशहाल और अर्थपूर्ण बनाते हैं। घर में उनके होने से परिवार की भावना मजबूत होती है और हर सदस्य में आत्मविश्वास और संतुलन आता है।
इसकी जीती-जागती मिसाल है इंदौर का जाना-माना सीनियर सिटीजन सेंटर, आनंदम सीनियर सिटीजन सेंटर, जो समाज के लिए कई वर्षों से नेक कार्य करता आ रहा है। किसी के हुनर को पंख देना हो, या जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा में योगदान, आनंदम के ये फरिश्ते रूपी बुज़ुर्ग सदस्य न जाने कितने ही सपनों में रंग भर चुके हैं।
ऐसे ही जीवन के ये अनमोल हिस्से नेशनल ग्रैंडपैरेंट्स' डे के अवसर पर हर दिन की तरह एकत्रित हुए आनंदम सीनियर सिटीजन सेंटर में। इस सेंटर की चार दीवारें भी निर्जीव ही रहतीं यदि ये मुस्कुराते चेहरे इसकी जान न होते। दादा-दादी और नाना-नानी हर दिन अपने अनुभव, स्नेह और मार्गदर्शन के साथ सभी सदस्यों से मिलते हैं और प्रेरणा देते हैं।