इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत संचालित स्नातक पाठ्यक्रमों में परीक्षा नियमों में उच्च शिक्षा विभाग ने अहम बदलाव करने की तैयारी कर ली है। अब फेल होने के बावजूद छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा।
संबंधित विषय की परीक्षा वे अगले सत्र में देंगे। इसके साथ ही प्रथम वर्ष से पूरक परीक्षा (सप्लीमेंट्री) व्यवस्था को बंद करने का भी विचार किया जा रहा है। यह लागू होता है तो छात्रों को अतिरिक्त परीक्षा का मौका नहीं मिलेगा। उनको मुख्य परीक्षा में ही विषय पास करना होगा। नई व्यवस्था 2025-26 सत्र से स्नातक प्रथम वर्ष में लागू होगी।
नए नियमों के तहत मुख्य परीक्षा 70 अंकों की और प्रोजेक्ट व आंतरिक मूल्यांकन 30 अंकों का होगा। पहले कुल 33 अंक लाना पास होने के लिए पर्याप्त था। वह चाहे अंक मुख्य परीक्षा से आएं या आंतरिक से आएं। अब छात्रों को मुख्य परीक्षा में न्यूनतम 23 अंक और आंतरिक में कम से कम 10 अंक अनिवार्य रूप से लाने होंगे। केवल आंतरिक परीक्षा में अच्छे अंक लाकर मुख्य परीक्षा की कमी पूरी नहीं की जा सकेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव छात्रों को नियमित पढ़ाई और विषय की गहरी समझ के लिए प्रेरित करेगा। वहीं, फेल होने पर प्रमोशन का नियम तत्कालिक दबाव कम करेगा, लेकिन अगले वर्ष उस विषय को पास करना अनिवार्य होगा। पूरक परीक्षा बंद होने से छात्रों को अतिरिक्त मौके की बजाय मुख्य परीक्षा में ही बेहतर प्रदर्शन करना होगा।
डीएवीवी परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी ने बताया कि विभाग से आदेश मिलने के बाद यह व्यवस्था लागू की जाएगी। अध्यादेश 14 (1) के तहत फेल विषय को अगले वर्ष की मुख्य परीक्षा में देने का नियम अपनाया जाएगा, जिस पर विभाग विचार कर रहा है।