नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति के द्वारा दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट और कार चालकों के लिए सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य करने के निर्देश दिए गए थे। समिति के अध्यक्ष एवं पूर्व न्यायधीश अभय मनोहर सप्रे ने आम जन के बीच इसकी जागरुकता के लिए पहल करने के जिला प्रशासन को निर्देशित किया था।
साथ ही सख्ती करने के निर्देश भी दिए गए थे इसी को लेकर कलेक्टर आशीष सिंह ने इंदौर जिले की राजस्व सीमा में दोपहिया वाहनों में बगैर हेलमेट के पेट्रोल देने पर प्रतिबंध लगाया था। एक अगस्त से इस पर अमल होना है ऐसे में शहर में हेलमेंट की मांग अचानक बढ़ गई। छोटी ग्वालटोली सहित शहर की कई हेलमेट बेचने वाली दुकानों पर लोग हेलमेट खरीदने पहुंचे। दुकानदारों का कहना है कि आम दिनों की अपेक्षा हेलमेट खरीदने आने वालों की संख्या में 25 प्रतिशत तक बढ़ गई है। मगर आम दिनों की अपेक्षा 10 प्रतिशत अधिक ही हेलमेट बिक रहे है।
अब शहरवासियों के लिए प्रशासन ने हेलमेट की आनिवार्यता से जुड़ा आदेश के अनुसार, अब पेट्रोल पंपों पर बगैर हेलमेट के पेट्रोल नहीं दिया जाएगा। प्रशासन का यह कदम दुर्घटना के कारण जान को होने वाले नुकसान की संभावना को कम करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। हेलमेट के कारण सिर सुरक्षित रहता है और बड़ी दुर्घटना का खतरा भी कम हो जाता है। वहीं, प्रशासन के इस आदेश का असर हेलमेट मार्केट में देखने को मिल रहा है। जिसके चलते पिछले कुछ दिनों में हेलमेट की डिमांग काफी बढ़ गई है।
हालांकि, यह मांग अधिकांश तौर पर सस्ते हेलमेट खरीदने तक ही सीमित है। जबिक इसमें ब्रांडेड हेलमेट खरीदने वालों की संख्या काफी कम है। हेलमेट विक्रेताओं के अनुसार, ब्रांडेड और सस्ते हेलमेट खरीदने वालों की संख्या में काफी अंतर है। इनमें भी वे लोग अधिक है जो पूछताछ करने आ रहे हैं। हेलमेट विक्रेता अमित छाबड़ा बताते हैं कि ग्राहकों की संख्या में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी जरूर हुई है, लेकिन इनमें वे ग्राहक अधिक है जो सिर्फ हेलमेट देखने या पूछताछ करने आते हैं। उन्होंने बताया कि आइएसआइ मार्क या ब्रांडेड हेलमेट खरीदने वालों की संख्या सिर्फ प्रतिशत तक बढ़ी है।”
हेलमेट विक्रेता पवन राजपूत के अनुसार, हेलमेट में भी अलग-अलग की डिजाइन आ चुकी है। युवा वर्ग को स्पोर्टी लुक, ड्यूल वाइजर, मैट फिनिश और ब्राइट कलर्स स्टाइलिश और इनबिल्ट सनवाइजर वाले माडल्स पसंद में पहले नंबर पर है। सनवाइजर, हेलमेट में लगा एक शीशा होता है, जो सूरज की तेज रोशनी। साथ ही चकाचौंध से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह आमतौर पर हेलमेट के अंदर लगा होता है और इसे ऊपर-नीचे किया जा सकता है। वहीं, बुजुर्ग और नौकरीपेशा वर्ग लाइटवेट, सिंगल वाइजर और सिंपल डिजाइन हेलमेट डिजाइन पसंद कर रहे हैं। जबकि महिलाएं अब हेयर-फ्रेंडली, हल्के और कॉम्पैक्ट साइज वाले हैलमेट को प्राथमिकता दे रही हैं।
आयुष साहू बताते है कि हेलमेट में कई तरह के फीचर है आते जा रहे। इनमें ब्लूटूथ कनेक्ट फीचर भी प्रमुख है । मंहगे होने के चलते इस तरह के हेलमेट की मांग कम है। आज के ब्रांडेड हेलमेट सिर्फ सिर ढकने के लिए नहीं, बल्कि तकनीक से लैस हैं। इनमें आईएसआई मार्क सुरक्षा की पहली गारंटी है। फुल फेस प्रोटेक्शन, वाशेबल लाइनिंग, अब स्टैंडर्ड फीचर्स हैं। एंटी-फाग वाइजर और एयर वेंट सिस्टम गर्मी में राहत देते हैं।
दुकानदारों के अनुसार, लोकल हेलमेट्स सिर्फ दिखने में हेलमेट जैसे होते हैं, लेकिन इनकी बाडी प्लास्टिक या कमजोर फाइबर की बनी होती है। एक्सीडेंट की स्थिति में ये हेलमेट सिर की रक्षा नहीं कर पाते, बल्कि और नुकसानदायक साबित होते हैं।
बाजार में हेलमेट्स की कीमत ₹600 से ₹5000 तक है। एक हजार रुपये से 1500 रुपये की रेंज में सुरक्षित और स्टाइलिश विकल्प मिल जाते हैं। महंगे हेलमेट्स में ब्लूथूट और नेविगेशन असिस्ट जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं।
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भोपाल में एक अगस्त से लागू होने जा रहे ‘हेलमेट नहीं, पेट्रोल नहीं’ अभियान को लेकर प्रशासन और पुलिस भले ही सख्ती की बात कर रही हो, लेकिन हकीकत इससे उलट नजर आ रही है। नियम लागू होने से ठीक एक दिन पहले 31 जुलाई को शहर के पेट्रोल पंपों पर न तो जागरूकता नजर आई और न ही नियमों का पालन, जिससे मुहिम की गंभीरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
लाइव एक
दोपहर 01.39 बजे भोपाल के एमपी नगर स्थित एक बड़े पेट्रोल पंप पर जब नवदुनिया की टीम ने जायजा लिया तो देखा गया कि आधे से ज्यादा दोपहिया वाहन चालक बिना हेलमेट के पेट्रोल भरवा रहे थे। कोई पूछने वाला नहीं था। जागरूकता के नाम पर केवल पंप संचालकों की ओर से एक पेज चिपका दिया गया जिसमें लिखा था ‘हेलमेट नहीं, पेट्रोल नहीं’।
लाइव दो
इसी तरह दोपहर 02.00 बजे पांच नंबर बस स्टाप के पास स्थित एक अन्य पेट्रोल पंप पर भी स्थिति कुछ अलग नहीं थी। भीड़ तो दिखी, लेकिन बिना हेलमेट के लोगों को पेट्रोल आराम से दिया जा रहा था। जबकि यह आदेश कुछ साल पहले भी दिए गए थे, लेकिन उसके बाद भी इस नियम का सख्ती से पालन नहीं हो सका जिसके बाद से साफ देखा जा रहा है कि हेलमेट के बिना पेट्रोल दिया जा रहा है। सख्ती नहीं होने के बाद से अब एक बार फिर आदेश निकाला गया है। अब देखना है कि इस बार इस आदेश का पालन कितना होता है। अब देखना होगा कि एक अगस्त से जब यह अभियान आधिकारिक रूप से लागू होगा, तब प्रशासन कितनी सख्ती दिखाता है और पेट्रोल पंप संचालक कितना साथ निभाते हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि जब तक जनता खुद जिम्मेदार नहीं बनती, तब तक कोई भी अभियान पूरी तरह सफल नहीं हो सकता।
इस संबंध में हेलमेट दुकानदार संतोष कुमार का कहना है कि अभी तक हेलमेट की बिक्री आम दिनों जैसी ही है। जब पुलिस वाकई सख्ती करती है। तभी बिक्री में अचानक उछाल आता है।
यह अभियान जनहित में बहुत अच्छा कदम है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए लोगों की मानसिकता बदलनी होगी। सिर्फ पुलिस के डर से नहीं, बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए लोगों को हेलमेट पहनने की आदत डालनी होगी।
महेश भट्टनागर ,सामाजिक कार्यकर्ता
हम सभी को जागरूक होना पड़ेगा। प्रशासन हमारे भलाई के लिए ये कदम उठाएं है। इस लिए हम सभी को प्रशासन का सहयोग करना चाहिए। इस सराहनीय पहल से सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में भी कमी आएंगी।
ताहिर खान, राहगीर
शहर के सभी पेट्रोल पंप संचालकाें को निर्देश दिए गए हैं कि वह सूचना लिखवाकर रखें कि बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं मिलेगा। यदि किसी भी माध्यम से शिकायत मिलती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
चंद्रभान सिंह जादौन, जिला आपूर्ति नियंत्रक