Indore Newqs: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। शासकीय अस्पतालों में डाक्टरों के खिलाफ यदि गलत इलाज का आरोप लगता है तो दिखावे के लिए जांच समितियां तो बना दी जाती हैं, लेकिन कभी इसकी रिपोर्ट सामने नहीं आती है। स्वजन परेशान होते रहते हैं, बार-बार जिम्मेदारों के चक्कर लगाते हैं, लेकिन कोई हल नहीं निकलता है।
हाल ही में मध्यभारत के सबसे बड़े इंदौर के एमवाय अस्पताल में कान के आपरेशन के बाद 15 वर्षीय पीयूष कश्यप निवासी मालवा मिल की मौत हो गई थी। इसके बाद स्वजन ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया था। आरोप था कि गलत इंजेक्शन लगाने से उसकी मौत हुई है। इसके बाद पांच सदस्यीय जांच समिति बनी थी, जिसे तीन दिनों में रिपोर्ट सौंपने की बात कही गई थी, लेकिन घटना को 10 दिन से अधिक हो गए है पर अभी तक जांच रिपोर्ट बनकर नहीं आई है।
स्वजन पुष्पेंद्र ने बताया कि हमें अभी तक सिर्फ शार्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपी है। अभी हमें पीएम रिपोर्ट भी नहीं मिली है। अस्पताल प्रबंधन ने हमें तीन दिनों में जांच रिपोर्ट देने का वादा किया था। हम इसके बाद कई बार अस्पताल भी गए पर हमें नजरअंदाज कर वापस भेज दिया जाता है। सीएम हेल्पलाइन पर भी इसकी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अभी तक वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हमारे घर के बच्चे की डाक्टरों की लापरवाही के कारण मौत हुई है, लेकिन किसी को कोई परवाह ही नहीं है। आखिर ऐसा क्या कारण है जो जिम्मेदार रिपोर्ट देने से डर रहे हैं। साथ ही बताया कि हमें अभी तक बयान के लिए भी नहीं बुलाया गया है।
इसी प्रकार 17 वर्षीय अमित सेन को सड़क हादसे में घायल होने पर 29 मई को राजश्री नर्सिंग होम (मार्तंड चौक) में भर्ती किया था। बाएं पैर में चोट लगने पर उसका आपरेशन करना था। एनेस्थीसिया के ओवरडोज देने के कारण अमित की मौत हो गई थी। पिता रिंकू सेन ने बताया कि मैं न्याय के लिए मुख्यमंत्री, गृहमंत्री सहित अधिकारियों से गुहार लगा चुका हूं। इसमें एनेस्थीसिया की क्वालिटी व क्वांटिटी जांच लिखकर मौत की स्थिति स्पष्ट करने के लिए सीएसएफ टेस्ट करवाने को कहा है। लेकिन यह जांच भारत में कहीं होती ही नहीं है। जांच के लिए हैदराबाद, दिल्ली और भोपाल लैब से सैंपल वापस आ गए है। ऐसे में अब न्याय कैसे मिलेगा। मामले में सीआइडी जांच की बात भी कही गई थी, लेकिन नहीं हुई।