इंदौर। शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित छह दशक पुराना अन्नपूर्णा मंदिर अब नया स्वरूप लेगा। 20 करोड़ से अधिक की अनुमानित राशि और संगमरमर से अन्नपूर्णा माता के लिए नया मंदिर बनाया जाएगा। नए मंदिर का निर्माण वर्तमान मंदिर से करीब 50 फीट पीछे 6600 वर्गफीट में किया जाएगा। उसमें वर्तमान मंदिर में स्थापित माता अन्नपूर्णा, कालका और सरस्वती माता की स्थापना की जाएगी। मंदिर की लंबाई 108 फीट और चौड़ाई 54 फीट होगी। मुख्य कलश की ऊंचाई 81 फीट होगी।
इस बात की घोषणा अन्नपूर्णा आश्रम ट्रस्ट ने शारदीय नवरात्र के पहले दिन रविवार को की। इस मौके पर नए मंदिर के मॉडल का लोकार्पण महामंडलेश्वर विश्वेश्वरानंद और ट्रस्टियों की मौजूदगी में किया गया। मंदिर का गर्भगृह, श्रृंगार की चौकी और परिक्रमा स्थल भी बनाए जाएंगे। पूरा मंदिर सफेद मकराना संगमरमर से बनाया जाएगा। मंदिर की दीवारों पर कई आकर्षक चित्र उकेरे जाएंगे। मंदिर पचास स्तंभों पर होगा। मंदिर का निर्माण कर रहे अनेक कारीगर वे हैं, जिन्होंने त्र्यंबकेश्वर में अन्नपूर्णा मंदिर बनाया है।
तीन साल में बनकर होगा तैयार
मंदिर की दीवारों पर कई धार्मिक आकृतियां उकेरी जाएंगी। मंदिर के निर्माण में करीब तीन साल का समय लगेगा। इससे पहले ट्रस्ट द्वारा त्र्यंबकेश्वर में बनाए गए अन्न्पूर्णा माता मंदिर के सभी कार्य भी डेढ़ साल पहले पूरे हुए हैं। न्यासी मंडल के श्याम सिंघल और वरजिंदरसिंह छाबड़ा ने बताया कि नवीन मंदिर का निर्माण कार्य दीपावली बाद शुरू कर दिया जाएगा। मंदिर का निर्माण भक्तों के सहयोग से किया जा रहा है।
यथावत रहेगा मंदिर की पहचान हाथी गेट
देशभर में इंदौर के अन्नपूर्णा मंदिर की पहचान इसका 100 फीट ऊंचा हाथी गेट है। नवनिर्माण के दौरान हाथी गेट के साथ किसी तरह का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
आर्किटेक्ट की लागत एक नारियल और एक रुपए
- आर्किटेक्ट सत्यप्रकाश मंदिर के निर्माण के लिए सिर्फ एक नारियल और एक रुपए लेंगे। इससे पहले त्र्यंबकेश्वर स्थित अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण उन्होंने सिर्फ एक नारियल और एक रुपए लेकर किया था। सत्यप्रकाश के अनुसार मंदिर की आकृति अक्षरधाम की तरह होगी।
- 150 से अधिक यज्ञों की साक्षी रही मंदिर की यज्ञशाला के स्थान पर अब नया मंदिर बन जाएगा। इससे अब इस स्थान पर यज्ञ की ध्वनि नहीं गूंजेगी।
60 साल पहले बना था मंदिर, 1975 में बना था मुख्य द्वार
आर्य और द्रविड़ स्थापत्य शैली के मिश्रण से अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण महामंडलेश्वर स्वामी प्रभानंदगिरि महाराज ने सन् 1959 में किया था। यह मंदिर अपने हाथी गेट के लिए पहचाना जाता था। इसमें तीन फीट ऊंची मार्बल से बनी मां अन्न्पूर्णा की मूर्ति है। मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण 1975 में किया गया था।
परिसर में मां अन्नपूर्णा, शिव, हनुमान और काल भैरव आदि भगवान के अलग-अलग मंदिर हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर रंगीन पौराणिक आकृतियां बनी हैं। परिसर के मंदिर में कमल पर बैठे भगवान काशी की साढ़े 14 फीट ऊंची मूर्ति भी है।
Posted By: Sandeep Chourey
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