इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Stamp Ticket Indore। जिला कोर्ट में वकील पत्र पर लगने वाले अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट अब स्टाम्प वेंडर नहीं बल्कि जिला अभिभाषक संघ बेचेगा। अब तक यह टिकट 40 रुपये का होता था लेकिन नई व्यवस्था के तहत इसे 100 रुपये का कर दिया गया है। इस रकम में से 30 रुपये अभिभाषक वेलफेयर समिति को मिलेंगे। समिति में जमा हुई रकम का इस्तेमाल वकीलों को आर्थिक मदद पहुंचाने में किया जाएगा। नई व्यवस्था लागू होते ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। विरोध करने वाले कह रहे हैं कि अभिभाषक संघ इस तरह से टिकट बेचकर व्यापार कर रहा है, जबकि तदर्थ कमेटी का कहना है कि राज्य अधिवक्ता परिषद के निर्देशों पर इस तरह का निर्णय लिया गया है।
जिला कोर्ट सहित अन्य सभी न्यायालयों में पक्षकार की तरफ से उपस्थित होने के लिए वकील को एक वकील पत्र प्रस्तुत करना होता है। अब तक इस वकील पत्र के साथ वकीलों को अधिवक्ता कल्याण निधि का 40 रुपये का टिकट चस्पा करना होता था जो किसी भी स्टाम्प वेंडरो के यहां आसानी से उपलब्ध हो जाता था। जिला अभिभाषक संघ की 30 जून को हुई साधारण सभा के बाद इस व्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया गया है। तदर्थ कमेटी संयोजक एडवोकेट कमल गुप्ता ने बताया कि अब अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट स्टाम्प वेंडरों के यहां से नहीं बल्कि संघ कार्यालय से बेचे जा रहे हैं। इसकी कीमत भी 40 से बढ़ाकर 100 रुपये कर दी गई है। सामान्यत: वकील पत्र पर लगने वाले टिकटों की भुगतान पक्षकार को करना होता है। 100 रुपये की रकम में से 30 रुपये अभिभाषक वेलफेयर कमेटी को मिलेंगे। इस तरह से जमा रकम से मुश्किल वक्त में वकीलों की आर्थिक मदद की जा सकेगी।
संघ की मुहर लगाकर जारी कर रहे हैं टिकट
गुप्ता ने बताया कि फिलहाल संघ की मुहर लगाकर अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट जारी किए जा रहे हैं। न्यायालयों से भी आग्रह किया गया है कि संघ की मुहर के बगैर प्रस्तुत किए गए वकील पत्रों को स्वीकार न किया जाए। गुप्ता के मुताबिक राज्य अधिवक्ता परिषद के निर्देशों के बाद यह व्यवस्था लागू की गई है। 30 जून को हुई संघ की साधारण सभा में भी इस पर मुहर लग गई है। अब तक टिकट बेचने पर मिलने वाला कमिशन स्टाम्प वेंडर को मिलता था लेकिन अब यह संघ को मिलेगा और वकीलों के हित में इसका इस्तेमाल हो सकेगा।
इधर शुरू हुआ विरोध, जिला जज को सौंपा ज्ञापन
नई व्यवस्था का विरोध भी शुरू हो गया है। वकील विशाल डी रामटेके ने ढाई सौ से ज्यादा वकीलों के हस्ताक्षर करवाकर इस संबंध में एक ज्ञापन जिला जज को सौंपा है। उनका कहना है कि अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट बेचने का अधिकार अभिभाषक संघ और स्टाम्प वेंडरों को है किसी समिति को नहीं। तदर्थ कमेटी इस तरह से टिकट नहीं बेच सकती। तदर्थ कमेटी का सिर्फ संघ के निर्वाचन के लिए किया गया था, लेकिन कमेटी ने वेलफेयर समिति का गठन कर लिया। यह गलत है। हमने इस संबंध में जिला जज को ज्ञापन सौंपा है।