Indore News: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर की पुरानी कालोनियों में शामिल स्कीम नंबर 78 के करीब एक हजार परिवार कुछ समय से इंदौर विकास प्राधिकरण (आइडीए) और नगर निगम दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी परेशानी का समाधान नहीं हो रहा। आइडीए ने 1978 में कालोनी का विकास किया था। 9 हजार में से सात हजार प्लाट कोर हाउस थे जिन पर किचन आइडीए ने बनाकर दिया था। इसके चलते परिवारों ने आइडीए द्वारा छोडे गए स्लैब के अनुसार मकान बना लिए।
सालों तक इस पर न तो आइडीए न ही नगर निगम ने कोई आपत्ति ली। लेकिन अब मकानों की 30 साल की लीज खत्म हो रही है और वे आइडीए में इसके नवीनीकरण के लिए पहुंच रहे हैं तो उन्हें कहा जा रहा है कि लीज का नवीनीकरण नहीं हो पाएगा। इसके लिए परिवारों से नगर- निगम का नक्शा मांगा जा रहा है। लोग जब नगर-निगम में नक्शा बनवाने पहुंच रहे हैं तो जवाब मिल रहा है कि बने हुए मकान पर नक्शा पास नहीं कर सकते। इस संबंध में आइडीए के अधिकारियों से भी रहवासी दो बार मिल चुके हैं लेकिन अधिकारी केवल इतना ही कह पा रहे हैं इसका जल्द निराकरण निकालते हैं।
बैंक भी लोन देने से कर रही हैं इंकार
रहवासियों का कहना है कि लीज का नवीनीकरण नहीं होने से वे मकान पर ऊपरी मंजिल का निर्माण नहीं कर पा रहे हैं। इसके लिए बैंक लोन भी नहीं दे रही। मकान बेच भी नहीं पा रहे हैं। रहवासी सुमित गीते का कहना है कि जब आइडीए ने कोर हाउस बेचे थे उस समय ऐसा कोई नियम नहीं था कि नक्शे के बिना मकान बना सकते हैं या नहीं। जब खुद आइडीए ने कोर हाउस मकान में कीचन बनाकर दिया हैं तो उन्हें ही इसका नक्शा पास कराकर देना था या इस संबंध में नगर-निगम से बात करनी थी। अब सालों बाद बताया जा रहा है कि कोर हाउस के लिए भी नक्शा चाहिए। इसे लेकर जल्द कोई निर्णय लेने की जरूरत है।
रहवासी चेतन पुष्पद का कहना है कि आइडीए की कालोनियों में प्लाट और मकान लेना परिवार पसंद करते हैं ताकि इस तरह की परेशानी का कभी सामना न करना पड़े। इस समस्या के कारण परिवारों की कई भविष्य की कई योजनाओं पर असर पड़ रहा है।वार्ड नंबर 32 की पूर्व पार्षद छाया भरत देशमुख का कहना है कि हाल ही में हमने रहवासियों से इस संबंध में लिखित शिकायत ली थी और आइडीए और नगर-निगम के अधिकारियों के पास पहुंचे थे। दोनों जगह से आश्वासन दिया गया है कि बीच का रास्ता निकाला जाएगा। इसमें रहवासियों को कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
कम्पाउंडिंग शुल्क लेने का निर्णय सहीं नहीं हैं
वार्ड नंबर 34 के पूर्व पार्षद मुन्नालाल यादव का कहना है कि स्कीम नंबर 78 के स्लाइज एक से लेकर चार नंबर तक में रह रहे कई घरों के नक्शे नहीं बनने से कई तरह की परेशानी आ ही है। आइडीए के अधिकारियों और नगर निगम निगमायुक्त से मिलकर इस संबंध में लगातार बात की जा रही है। इसमें फिलहाल यह रास्ता निकाला गया है कि कम्पाउंडिंग शुल्क भरने के बाद नक्शा बनाया जा रहा है लेकिन यह निर्णय सहीं नहीं है। इसमें मकान के सामने 10 मीटर जमीन छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। स्कीम नंबर 78 में ज्यादातर 12 बाय 32 फिट के क्षेत्र में मकान बने हैं। इसमें भी अगर इतनी जमीन छोड़ दी जाएगी तो रहने के लिए जगह ही बहुत कम बचेगी। उम्मीद है जल्द ही आइडीए और नगर-निगम के अधिकारी इसमें बेहतर रास्ता निकालेंगे।
जल्द प्रक्रिया शुरू होगी
स्कीम नंबर 78 में आइडीए की लीज नवीनीकरण को लेकर कुछ समस्याएं आ रही है। इसके चलते नक्शे पास नहीं किए जा रहे। इस संबंध में आइडीए के अधिकारियों से बात करके नक्शे जारी करने की प्रक्रिया की जाएगी।
- प्रतिभा पाल, निगमायुक्त