
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। इंदौर शहर में रविवार को 65वां ग्रीन कॉरिडोर बना। हाईकोर्ट की वकील अभिजीता राठौर (38) के ब्रेन डेड होने के बाद अंगदान किया गया, जिससे कई जिंदगियां रोशन हुई हैं। उनका लिवर, दोनों किडनी, कार्निया और त्वचा दान की गई हैं। जूपिटर अस्पताल में पति ने उन्हें मंगलसूत्र पहनाकर अंतिम विदाई दी। इसके बाद उन्हें गार्ड ऑफ आनर दिया गया। लिवर सीएचएल अस्पताल में 50 वर्षीय पुरुष, किडनी जूपिटर अस्पताल में 35 वर्षीय महिला और दूसरी किडनी चोइथराम अस्पताल में 27 वर्षीय पुरुष को ट्रांसप्लांट की गई।
ये लंबे समय से विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे थे और अंगों का इंतजार कर रहे थे। अंग मिलने से इन्हें नया जीवन मिल गया है। अभिजीता की 23 अक्टूबर को तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उन्हें निमोनिया हुआ था। इस कारण सीवियर ब्रेन हेमरेज हुआ। उपचार के दौरान उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद पति प्रवीण राठौर, मां गिरी बाला राठौर और भाई शासकीय अधिवक्ता अभिजीत सिंह राठौर सहित अन्य परिवार के सदस्यों ने अंगदान का निर्णय लिया।
भाई अभिजीत ने बताया कि वकालत में मेरा साथ देने के लिए अभिजीता वकील बनी थी। उन्होंने इलेक्ट्रानिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में इंजीनियरिंग की थी। गर्भवती होने के दौरान वकालत की पढ़ाई की। एलएलबी की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने क्रिमिनोलाजी में एलएलएम की डिग्री भी ली। उनके पति रेलवे कांट्रेक्टर हैं। परिवार में बेटी पर्णिका (13) और बेटा अभिरत्न (5) हैं। मूल रूप से परिवार उज्जैन का रहने वाला है। पेशे के चलते इंदौर में रहते हैं।
अभिजीता को डॉक्टरों ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था। डॉक्टरों ने परिवार की काउंसलिंग की। उन्हें बताया कि यह कोमा में रहेगी, ठीक होने की संभावना बिल्कुल कम है। आप अंगदान कर सकते हैं। इसके बाद परिवार ने अंगदान का निर्णय लिया। अंगदान में मुस्कान ग्रुप पारमार्थिक ट्रस्ट के जीतू बगानी, संदीपन आर्य आदि का योगदान रहा।
अभिजीता ने अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भगवान गणेश का चित्र बनाया था। चित्र में भगवान गणेश गन्ना खाते हुए नजर आ रहे हैं। उसमें लिखा है कि छोटा गन्नु गन्ना खाते हुए।
इंदौर में इससे पहले जून माह में 64वां ग्रीन कॉरिडोर बना था। इंदौर में प्रदेश के 90 प्रतिशत अंगदान होते हैं। शहर में अब तक 13,000 से अधिक नेत्रदान, 760 से अधिक त्वचा दान और 300 से अधिक देह दान हुए हैं।
अंगदान के लिए इंदौर में अब पहले से काफी बेहतर सुविधाएं हैं। यहां शरीर के विभिन्न हिस्सों के साथ लोग पूरी देह का दान भी कर रहे हैं। अगर आप चाहें तो जीवित रहते हुए यह सहमति दे सकते हैं कि मृत्यु के बाद मेरे इन अंगों का दान ले लिया जाए। कार्निया, हृदय के वाल्व, हड्डी, त्वचा जैसे ऊतकों को प्राकृतिक मृत्यु के बाद दान किया जा सकता है। हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े और अग्नाशय जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों को केवल ब्रेन डेड के मामले में ही दान किया जा सकता है।