इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि Oxygen Plant Indore। कोविड की दूसरी लहर में शहर के सैकड़ों मरीजों को आक्सीजन की कमी से जूझना पड़ा था। स्थिति इस कदर बिगड़ी थी कि इंदौर में सेना के विमान से आक्सीजन टैंकर बुलवाना पड़े थे। कोविड की तीसरी लहर को देखते हुए शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों में आक्सीजन के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती मरीजों को अब तरल आक्सीजन टैंक पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और अब अस्पतालों में लगे आक्सीजन जनरेशन प्लांट से मरीजों के उपचार में आसानी होगी है।
शहर के कुछ अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट तैयार हो चुके है अौर कुछ में अभी धीमी गति से काम किया जा रहा है। शा पीसी सेठी अस्पताल में जहां मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथों एक माह पहले आक्सीजन प्लांट का शुभारंभ किया गया था। यह प्लांट एक माह बाद भी अभी तक चालू नहीं हो सका है। अभी तक इसके शेड लगाने, विद्युत कनेक्शन व वार्ड से पाइप लाइन जोड़ने का काम ही पूरा नहीं हो सका है।
एमजीएम मेडिकल कालेज के आक्सीजन प्लांट नोडल आफिसर डा. ओपी गुर्जर के मुताबिक एमजीएम मेडिकल कालेज से जुड़े कुछ अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके है। इसके अलावा एमवायएच, सुपर स्पेशिएलिटी, ईएसआईसी माडल अस्पताल सहित कुछ अस्पतालों में जो आक्सीजन प्लांट लगाए जाना प्रस्तावित है उनका काम होना बाकी है।
अगस्त माह के अंत तक सभी अस्पतालों में लग जाएंगे आक्सीजन प्लांट
शहर के 20 सरकारी व निजी अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके है और 21 में आक्सीजन प्लांट अगस्त माह के अंत तक लग जाएगे। हुकुमचंद अस्पताल में प्लांट के लिए आर्डर हो चुके है और इसका काम जल्द शुरु हो जाएगा। पीसी सेठी अस्पताल में विद्युत लोड ज्यादा होने से एलटी कनेक्शन को एचटी लाइन पर शिफ्ट किया जा रहा है। एक सप्ताह में प्लांट का उपयोग शुरु हो जाएगा।
- अभय बेड़ेकर, अपर कलेक्टर
शहर के अस्पतालों में आक्सीजन को लेकर यह है तैयारी
प्लांट लगा, मशीनरी इंस्टालेशन होना बाकी
ईएसआईसी अस्पताल: ईएसआईएस सर्विसेस के टीबी अस्पताल में 1 हजार लीटर क्षमता का आक्सीजन प्लांट लगाया जाना है। प्लेटफार्म बन चुका हैँ , मशीनरी आ गई है, इंस्टालेशन होना बाकी है। इसके अलावा ईएसआईसी के माडल अस्पताल में आक्सीजन प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित हैं लेकिन इसका कार्य शुरु नहीं हुआ।
प्लांट लगा, वार्ड तक आक्सीजन की सेपरेट लाइन पहुंचाना बाकी
एमटीएच: यहां पर 5 किलो लीटर व 1 किलोलीटर क्षमता का तरल आक्सीजन टैंक है। अब यहां पर 330 लीटर प्रति मिनट क्षमता का आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगा हैं। इस प्लांट से सभी वार्ड तक आक्सीजन की सेपरेट लाइन पहुंचाने के लिए काम बाकी है। इसमें 15 से 20 दिन का समय लगेगा।
स्ट्रक्चर हो रहा तैयार, मशीनरी के आने का इंतजार
सुपर स्पेशिएलिटी: यहां 10 किलो लीटर क्षमता तरल आक्सीजन टैंक लगा है। अब यहां पर 2 हजार लीटर क्षमता का आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाया जा रहा है। इसका स्ट्रक्चर आठ से 10 दिन में तैयार होगा उसके बाद मशीनरी आएगी। 20 से 25 दिन में यह प्लांट तैयार होगा।
आक्सीजन प्लांट लगा और उसका उपयोग भी शुरू हुआ
न्यू चेस्ट वार्ड: यहां 1 किलोलीटर का तरल आक्सीजन टैंक हैँ। अब यहां 500 लीटर क्षमता का आक्सीजन प्लांट लगा है और उपयोग भी शुरू चुका है।
प्लांट लगाना प्रस्तावित, एजेंसी का इंतजार
एमवायएच: यहां 10 किलो लीटर क्षमता तरल आक्सीजन टैंक है। अब यहां पर कोल इंडिया द्वारा 1500 लीटर क्षमता का आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित है। जगह तय न होने से अभी निर्माण के प्रक्रिया शुरु नहीं हुई है। काेल इंडिया द्वारा अभी इसके निर्माण के संबंध में एमवाय प्रबंधन से संपर्क भी नहीं किया गया।
प्लांट का शुरू हो चुका उपयोग
एमआरटीबी: यहां पर एक किलो लीटर का तरल आक्सीजन टैंक है। इसके अलावा अब यहां पर 300 लीटर क्षमता का आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाया जा चुका है और उसकी सेपरेट लाइन भी डाली जा चुकी है। इस प्लांट का उपयोग शुरू हो चुका है।
मशीनरी आए और उदघाटन हुए एक माह बीता अब तक प्लांट नहीं हुआ चालू
पीसी सेठी अस्पताल: यहां अभी 70 जंबो सिलिंडर के माध्यम से आक्सीजन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था है। यहां कोविड संक्रमित बच्चों व गर्भवर्ती के लिए 240 बेड निर्धारित है। यहां पर एक हजार लीटर क्षमता आक्सीजन प्लांट लगे और सीएम के हाथों उदघाटन हुए एक माह बीत चुका है। अभी तक इसका उपयोग शुरु नहीं हुआ। सोमवार को विद्युत कनेक्शन देने का काम शुरु हुआ। अभी प्लांट की पाइप लाइन को वार्ड की आक्सीजन लाइन से जोड़ा जाना बाकी है।
अफसरों के निरीक्षण किए 15 दिन बीते, न प्लेटफार्म बना न मशीनरी आई
हुकुमचंद अस्पताल: अस्पताल में कोविड मरीजों को उपचार देने की योजना है। यहां पर 500 लीटर क्षमता का आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित है। इसके आदेश हो चुके है और अफसरों द्वारा निरीक्षण किए भी 15 दिन बीत चुके है। इसके लिए अभी तक अस्पताल में प्लेटफार्म भी तैयार नहीं हो सका है।