इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। भगवान कभी भक्त से मेवा-मिष्ठान की लालसा नहीं रखते। वे तो बस यही चाहते हैं कि भक्त उनके लिए थोड़ा समय निकालें। यदि आप ईश्वर के पास विश्वास लेकर पहुंचे हो तो खाली हाथ नहीं लौटोगे। जब आप भगवान के लिए समय निकालते हैं, आप शिव की चर्चा करते हैं तो देवलोक मे भी आपकी चर्चा होती है और अपके लिए शिव भी समय निकालते हैं। शिव तत्व की प्राप्ति का केंद्र बिंदु शिव ही है।
यह बात कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने इंदौर में आयोजित एक दिनी शिव चर्चा ‘सबके शिवा’ के दौरान कही। सोमवार को गीता रामेश्वरम ट्रस्ट द्वारा एक दिवसीय शिव चर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया। पं. प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से सत्संग सुनने लाखों भक्त कथा पंडाल में पहुंचे। पं. मिश्रा ने कहा कि शिव पुराण ने भक्तों को दुख की घड़ी में विश्वास दिया है कि शंकर तुम्हारे साथ हैं। एक भरोसा पक्का किया है कि आखिर शिव तत्व क्या होता है। भगवान शिव को लेकर जो विश्वास अहिल्याबाई होलकर के मन में था, उसका प्रमाण है कि दुनिया में आज तक कोई संत, महात्मा ऐसा नहीं हुआ जिसके हाथ में सदा शिवलिंग रहता हो, लेकिन अहिल्याबाई के हाथों में शिवलिंग रहता था।
पं. मिश्रा ने कहा कि हमेशा संगत सोच-समझकर ही बनाना चाहिए। जिसके साथ आप रहते हैं वह आपकी अहमियत भी निर्धारित करता है। यदि संगत अच्छी होगी तो आपकी साख बढ़ेगी ही। शिव महापुराण कहता है कि भगवान शिव केवल बिल्वपत्र या जल चढ़ाने से, 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से नहीं मिलते। शिव की प्राप्ति तो तब होती है जब आप किसी रोते हुए व्यकि्त के आंसू पोंछें, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट ला दें। ढोंग और प्रपंच में नहीं जाकर आप केवल महादेव की शरण में जाएं।
पं. मिश्रा के कहा कि शंकर की कथा करने वाला, करवाने वाला और सुनने वाला साधारण नहीं होता। वह स्वयं शिव-पार्वती होता है। कथा आपके शहर में हो रही है, लेकिन जो कथा सुनने आया है क्या उसका पूरा परिवार कथा सुनने आ सका। नहीं, केवल वही आ सका जिसके हृदय में शिव का वास है। जिस तरह आप पूजा के लिए सुंदर फूल चुनते हैं उसी तरह भगवान शिव अपने लिए भक्त चुनते हैं। श्रावण मास में आपने भगवान शिव को जो जल अर्पित किया, यह उसी का परिणाम है कि भाद्रपद में सोमावार को आप शिव चर्चा सुन पा रहे हैं।
पं. मिश्रा ने कहा कि कई लोगों की पूरी जिंदगी गुजर जाती है तब भी वे शिव को समझ नहीं पाते। कोई शिव को भगवान समझाता है, कोई पत्थर मानता है और कोई अपशब्द कहता है। पर सत्य तो यही है कि जिस तरह पेट भरने के लिए भोजन आवश्यक होता है उसी तरह आत्मा की तृप्ति के लिए शिव नाम स्मरण की आवश्यकता होती है। इस अवसर पर आयोजक विधानसभा क्षेत्र क्रमांक पांच के पूर्व विधायक व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण पटेल भी उपस्थित थे।