Pran Mudra Benefits: प्राण मुद्रा से बढ़ती रोग प्रतिरोधक क्षमता
Pran Mudra Benefits: यदि व्यक्ति वयस्क है तो उसे सांस लेने में यदि 5 सेकेंड का वक्त लगता है तो सांस छोड़ने में 20 सेकेंड
By Prashant Pandey
Edited By: Prashant Pandey
Publish Date: Sun, 10 Jan 2021 08:12:32 AM (IST)
Updated Date: Sun, 10 Jan 2021 08:15:51 AM (IST)

इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि), Pran Mudra Benefits। जीवन में सबसे ज्यादा श्वास (प्राण) का महत्व होता है। श्वास हम किस तरह ले रहे हैं, छोड़ रहे हैं इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है। योग में उम्र, परिस्थिति के अनुरूप श्वास की बात कही गई है। योग कहता है कि यदि व्यक्ति वयस्क है तो उसे सांस लेने में यदि 5 सेकेंड का वक्त लगता है तो सांस छोड़ने में 20 सेकेंड का वक्त लगना चाहिए। प्रोढ़ावस्ता में श्वास लेने में यदि 5 सेकेंड लगते हैं तो श्वास छोड़ने में 10 सेकेंड लगना चाहिए। वृद्धावस्था में श्वास लेने और श्वास छोड़ने का समय समान होना चाहिए। यदि यह अभ्यास प्राण मुद्रा बनाकर किया जाए तो परिणाम और भी बेहतर साबित होते हैं। इस मुद्रा का अभ्यास करने पहले साधक सुखासन में बैठ जाए। रीढ़ को सीधा रखें और आंखें बंद कर लें। अब अनामिका और कनिष्ठा अंगुली को अंगूठे के पोर पर हल्के से लगाएं।
तर्जनी और मध्यमा अंगुली को सीधा रखें। दोनों हाथों को जंघाओं पर रखें। अब श्वास-प्रश्वास में आयु के अनुरूप अनुपात का ध्यान रखें। यह अभ्यास शुरुआती दौर में 5 मिनट की समयावधि से शुरू करें। अभ्यास के साथ समय बढ़ा सकते हैं। 5 मिनट से 45 मिनट तक यह अभ्यास किया जा सकता है। इस आसन से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है, थकावट दूर होती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी प्राण मुद्रा बहुत कारगर है। नेत्र ज्योति में भी इस मुद्रा से लाभ होता है। यदि किसी को निद्रा से संबंधित परेशानी है या फिर चक्कर आने की समस्या है तो उसे प्राण मुद्रा का अभ्यास जरूर करना चाहिए। भूख पर नियंत्रण करने के लिए भी यह मुद्रा कारगर है। इस मुद्रा के अभ्यास में इस बात का ध्यान रखें कि इसे लेटकर नहीं करें और कलाई को घुटनों पर न रखें।
दिप्ती सोमानी, योग विशेषज्ञ