नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(President Indore Visit)। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का 14वां दीक्षा समारोह आज तक्षशिला परिसर स्थित सभागृह में आयोजित किया जा रहा है। सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पदक से सम्मानित करेंगी।
विश्वविद्यालय ने इस संबंध में गाइडलाइन जारी की है। समारोह में अव्यवस्था न हो इसके लिए विद्यार्थियों-शोधार्थियों व अभिभावकों सहित शिक्षकों, अधिकारियों व कर्मचारियों को समय का विशेष ध्यान रखने को कहा गया है। सभागृह में दो बजे के बाद प्रवेश बंंद कर दिया गया है।
इस दौरान पहचान पत्र भी साथ में रखना होगा। बकायदा आमंत्रण पद पर बैठने का स्थान भी दर्शाया है। समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु में यहां आएंगी। उसके बाद सभागृह में मौजूद व्यक्ति फोटो नहीं खींच सकेंगे।
समारोह से पहले विश्वविद्यालय के अधिकारी-कार्यपरिषद, संकायाध्यक्ष, डीन के साथ राष्ट्रपति का फोटो होगा। बाद में विद्यार्थी-शोधार्थी तस्वीर ले सकेंगे। दोपहर 3.20 पर विश्वविद्यालय का प्रोसेशन निकलेगा, जो पांच मिनट के भीतर सभागृह में प्रवेश करेगा।
समारोह में राष्ट्रपति सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले 46 विद्यार्थियों को पदक से सम्मानित करेंगी। इसके बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव- कुलाधिपति मंगूभाई पटेल का दस-दस मिनट का भाषण होगा। शाम 4 बजकर 10 मिनट पर राष्ट्रपति समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करेंगी। साढ़े चार बजे सभागृह से एयरपोर्ट के लिए राष्ट्रपति रवाना होंगी।
समारोह में इंजीनियरिंग कर चुके शुभ लाड को चार पदक दिए जाएंगे। तीन विद्यार्थियों को तीन और 13 छात्र-छात्राओं को दो-दो पदक दिए जाएंगे। पदक हासिल करने वालों में छात्राओं की संख्या ज्यादा है।
समारोह में 46 छात्र-छात्राओं को पदक दिए जाएंगे। राष्ट्रपति सबको आठ से दस मिनट में पदक से सम्मानित करेंगी। प्रत्येक छात्र-छात्रा राष्ट्रपति के पास पांच से दस सेकंड ही रुक पाएंगे।
2022-23 सत्र में विभिन्न संकाय में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले करीब 80 विद्यार्थी हैं, जिन्हें 96 स्वर्ण और 11 रजत पदक मिलेंगे। कला, वाणिज्य, यांत्रिकी, प्रबंधन, विज्ञान, संख्यिकी, कंप्यूटर साइंस, शारीरिक शिक्षा सहित 20 संकाय के विद्यार्थी हैं। समारोह में 46 छात्र-छात्राओं ने पंजीयन करवाया है। इन्हें राष्ट्रपति मुर्मु पदक से सम्मानित करेंगी। वहीं 147 शोधार्थियों को उपाधि मिलेगी, जो समारोह खत्म होने के बाद कुलगुरु डॉ. रेणु जैन के हाथों मिलेगी।