नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। मौसम परिवर्तन के कारण वायरल तेजी से फैल रहा है। बच्चों में इसका सर्वाधिक प्रभाव देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि अस्पतालों में बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है। इस सीजन में बच्चों की विशेष देखभाल करने की जरूरत है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इस कारण आसानी से वह वायरल की चपेट में आ जाते हैं। बुखार, सर्दी, खांसी, सांस लेने में समस्या है तो हल्के में न लें। निमोनिया हो सकता है।
इससे बचाव के लिए वर्ष में एक बार इंफ्लूएंजा वैक्सीन भी लगवा सकते हैं। बीमार व्यक्ति से बच्चों को दूर रखें। उन्हें भीड़ वाली जगहों पर ले जाने से भी बचें। यह बात चाचा नेहरू अस्पताल के उप-अधीक्षक और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निर्भय मेहता ने कही। बुधवार को वे मौसम बदलाव के कारण बच्चों में बढ़ रही बीमारियों के संबंध में पाठकों के सवालों के जवाब दे रहे थे।
डॉ. मेहता ने कहा, कफ सीरप या अन्य कोई दवा विशेषज्ञों की सलाह के बिना बिल्कुल भी न दें। बच्चों के खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। बाहर का खाना उन्हें बिल्कुल न खिलाएं। मोबाइल से दूर रखें और खेल गतिविधियों में शामिल करें। खानपान में बदलाव और प्रदूषण के कारण बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है।
सवाल- बदलते मौसम में बच्चों के खान-पान में क्या सावधानी बरतें? - राजेश अग्रवाल, देवास
जवाब- यह वायरल इंफेक्शन वाला मौसम है। छह माह के बच्चों को मां के दूध के अतिरिक्त कुछ न दें। यदि बच्चा चार से पांच साल का है तो उसे पौष्टिक आहार देना शुरू करें। बेकरी आइटम और बाहर का खाना न दें। इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
सवाल- इस मौसम में बच्चों को बीमारियों से कैसे बचाएं? - अनिल बामनिया, इंदौर
सवाल- बच्चों को इंफेक्शन से बचाना जरूरी है। घर में किसी व्यक्ति को सर्दी-खासी है तो बच्चे से वह दूर रहें। उन्हें छुने से पहले हाथ धोएं। बच्चा बीमार है तो स्कूल न भेजें। इससे अन्य बच्चों में भी बीमारी फैल सकती है। बच्चों को तरल पदार्थ अधिक मात्रा में दें।
सवाल- मौसम बदलने लगा है, जिसके कारण बच्चे जल्दी बीमार हो रहे हैं। क्या करें? - हुकुमचंद कटारिया, सनावद
जवाब- मौसम परिवर्तन के कारण वायरल इंफेक्शन बढ़ता है। बचाव के लिए घर में कोई सदस्य बीमार हो तो उससे बच्चों को दूर रखें। बाहर का न खिलाएं, साफ-सफाई पर ध्यान दें।
सवाल- अभी जहरिले सीरप से बच्चों की मौत हुई है। क्या इसे प्रतिबंधित कर दिया है? - मुशव्वर मंसुरी, कछालिया
जवाब- ऐसे कफ सीरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। बाजार से भी उन्हें हटाया जा रहा है। माता-पिता को जागरूक होना चाहिए कि हमेशा विशेषज्ञ की सलाह से ही दवाई लें। सीधे मेडिकल से कोई दवाई न लें।
सवाल- आठ माह के बच्चे को खांसी, जुकाम की समस्या है। क्या करें? - रमेश प्रजापति, इंदौर
जवाब- अगर किसी चिकित्सक के परामर्श से बच्चे की कोई दवा वर्तमान में चल रही है, तो उसे चालू रखें, क्योंकि यह वायरल फीवर है। बच्चे को दूसरे लोगों के संपर्क में आने से बचाएं। समय-समय पर थर्मामीटर से उसका बुखार भी मापें।
सवाल- छह वर्ष की बच्ची को दस्त की शिकायत है। क्या करें? - प्रतीक कदम, इंदौर
जवाब- बच्ची के खानपान पर विशेष ध्यान दें। उसे बाहर की चीजें न खाने दें। ओआरएस का घोल पिलाएं। इसके बाद भी दस्त की समस्या है, तो चिकित्सक से परामर्श लें।
सवाल: बेटे को चार-पांच दिनों से खांसी है। बहुत परेशान है। - निलेश सिंह, इंदौर
जवाब- चिंता मत करिए। बच्चे को सर्दी-खांसी से बचाएं। उसे दिन में दो बार भाप दें। यदि खांसी बढ़े, सांस फूले व बुखार आए तो बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। डाइट में पौष्टिक चीजों को शामिल करें।