Public utility Lok Adalat Indore: जनोपयोगी लोक अदालत में आवेदन करने के बाद निगम ने बंद किया खाता
Public utility Lok Adalat Indore: नल कनेक्शन था ही नहीं, निगम निकाल रहा था 49 हजार की वसूली।
By gajendra.nagar
Edited By: gajendra.nagar
Publish Date: Sat, 25 Sep 2021 02:31:31 PM (IST)
Updated Date: Sat, 25 Sep 2021 02:31:31 PM (IST)

इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि, Public utility Lok Adalat Indore। जूना रिसाला निवासी हबीब उल्लाह खान ने कभी नगर निगम से नल कनेक्शन लिया ही नहीं, बावजूद इसके नगर निगम ने उन पर 48 हजार 888 रुपये जलकर की वसूली निकाल दी। हबीब उल्लाह मकान का नक्शा स्वीकृत कराने के लिए निगम पहुंचे तो उनसे कहा गया कि पहले बकाया जलकर जमा करो।
इसके बाद ही नक्शा स्वीकृत होगा। परेशान उपभोक्ता ने जिला न्यायालय में हर शुक्रवार लगने वाली जनोपयोगी लोक अदालत में 13 अगस्त को गुहार लगाई। कोर्ट ने नगर निगम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। शुक्रवार को मामले का पटाक्षेप हो गया। नगर निगम ने अपनी गलती स्वीकारते हुए जनोपयोगी लोक अदालत में दस्तावेज प्रस्तुत कर बताया कि हबीब उल्लाह खान का खाता स्थाई रूप से बंद कर दिया गया है। अब भविष्य में इस खाते पेटे कोई वसूली नहीं निकाली जा सकेगी।
इसी तरह जितेंद्र सिंह चौहान निवासी रविदास कालोनी ने जनोपयोगी लोक अदालत में शिकायत की थी कि उनके घर के आसपास पिछले एक महीने से ड्रेनेज लाइन चौक है। गंदगी सड़क पर बह रही है। बदबू की वजह से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव और जनोपयोगी लोक अदालत अध्यक्ष एडीजे मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि शुक्रवार को नगर निगम ने लिखित में बताया कि उक्त शिकायत का निराकरण कर दिया गया है। रविदास कालोनी में नई ड्रेनेज लाइन भी डाल दी गई है। नए चेंबर भी बना दिए हैं। आवेदक चौहान द्वारा इसकी पुष्टि करने के बाद शिकायत समाप्त कर दी गई।
यह है जनोपयोगी लोक अदालत
जनोपयोगी लोक अदालत प्रत्येक शुक्रवार को जिला न्यायालय में लगती है। एडीजे मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो सड़क, पानी, बिजली, टेलीफोन, सेवाओं में कमी जैसी किसी समस्या से पीड़ित है वह इसमें शिकायत कर सकता है। शिकायत सादे कागज पर देना होती है। न्याय शुल्क भी नहीं लगता है। सुनवाई के लिए किसी वकील की आवश्यकता नहीं होती। व्यक्ति स्वयं अपनी पैरवी कर सकता है। न्यायालय संबंधित विभाग को नोटिस कर जवाब तलब करती है। ज्यादातर मामलों में शिकायत एक-दो सुनवाई में ही निराकृत हो जाती है।