इंदौर। अंगदान करने वाले खरगोन के रामेश्वर खेड़े का नाम सरकारी दस्तावेजों में भी शामिल हो जाएगा। प्रशासन ने उनके काम को आदर्श बनाने के लिए बलवाड़ी गांव को रामेश्वर खेड़े के नाम से करने का निर्णय लिया है। वहीं चोइथराम अस्पताल ने खेड़े की पत्नी व पांच बच्चों के इलाज के लिए लाइफ टाइम मेडिकल कार्ड जारी किए। खेड़े के एक बच्चे का रहने, खाने और स्कूल की पढ़ाई का खर्च प्रशासन उठाएगा।
अंगदान करने वाले रामेश्वर खेड़े के परिवार का बुधवार को कमिश्नर कार्यालय में सम्मान किया गया। उन्हें अलग-अलग मदों में खरगोन जिला प्रशासन और रेडक्रॉस से जो राशि दी जाएगी, उसकी जानकारी दी गई।
समारोह में जैसे ही कमिश्नर संजय दुबे ने इस बात की घोषणा की तो पत्नी किरण की आंखें छलक पड़ीं। उसने प्रशासन का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि पति का साथ छूटने का दुख तो कम नहीं हो सकता, लेकिन उनके नेक काम से गर्व भी महसूस हो रहा है। उधर चोइथराम अस्पताल की तरफ से परिवार को सम्मान-पत्र दिया गया। साथ ही खेड़े के बच्चों प्रीति, चांद, कृष, प्रतीक, वंशिका व पत्नी किरण को लाइफ टाइम मेडिकल कार्ड भेंट किए गए।
समारोह में बताया गया कि परिवार को 5 लाख रुपए मुख्यमंत्री सहायता, 1 लाख रेडक्रॉस, 30 हजार राष्ट्रीय परिवार सहायता, 4 लाख बीमा, 70 हजार इंदिरा आवास के तहत दिए जाएंगे।
दृष्टिबाधित भतीजे की आंखें जांची
रामेश्वर के दृष्टिबाधित भतीजे रोहित का भी इलाज शुरू हो गया है। उसका एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. एमके राठौर ने चेकअप किया। जांच रिपोर्ट आने के बाद तय होगा कि उसका कार्निया ट्रांसप्लांट हो सकेगा या नहीं।
परिवार ने बना डाली 'सेवा समिति'
खेड़े परिवार ने समाज के सामने एक और मिसाल पेश की है। पैसों की तंगी के कारण कोई दूसरा प्राथमिक इलाज पाने से वंचित न रह जाए इसके लिए परिवार वालो ने ही मिलकर 'रामेश्वर खेड़े सेवा समिति' बना डाली। परिवार के जयंत खेड़े ने बताया कि रामेश्वर के ग्यारहव के कार्यक्रम में परिवार ने यह तय किया। इसमें परिवार के 40 सदस्य तुरंत शामिल हो गए। हर महीने प्रत्येक परिवार द्वारा 100-100 रुपए एकत्रित किया जाएगा। यह पैसे परिवार में किसी भी व्यक्ति को इमरजेंसी होने पर मदद के लिए दिए जाएंगे। इन अवसर पर परिवार के कई सदस्यों ने अंगदान करने की इच्छा जाहिर की। वे ऑर्गन डोनेशन सोसाइटी के माध्यम से इसके लिए आवेदन करने वाले हैं।
यह था मामला
खरगोन निवासी 40 वर्षीय रामेश्वर खेड़े को एक्सिडेंट के बाद चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में एक दिन इलाज के बाद ही उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद परिवार ने रामेश्वर के अंगदान करने का फैसला लिया। इसके बाद ताबड़तोड़ प्रदेश में पहली बार लिवर ट्रांसप्लांट का ऐतिहासिक कार्य हुआ। चोइथराम अस्पताल से रामेश्वर का लिवर निकालकर गुड़गांव स्थित मेदांता हॉस्पिटल भेजा गया। इस दौरान अस्पताल से एयरपोर्ट तक के रोड को एक घंटे के लिए ग्रीन कॉरिडोर कर दिया गया था। लिवर के अलावा रामेश्वर की दोनों किडनियां, आंखें और स्किन भी दान की गईं। -नप्र