इंदौर। रंगपंचमी( Rangpanchmi 2019) पर आज निकलने वाली गेर को प्रशासन ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल कराने के लिए यूनेस्को को प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया है। प्रशासन, आयोजक व शहरवासी मिलकर प्रयास करें तो यह विश्वस्तरीय पहचान बना सकता है। नईदुनिया ने शहर के नामचीन लोगों व संस्थाओं से चर्चा की। सभी का मानना है इसके लिए बड़े स्तर पर इमेज बिल्डिंग और ब्रांडिंग जरूरी है।
तीन तरह के प्रयासों से मिल सकती है सफलता
आईआईएम इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय ने कहा, सबसे स्वच्छ शहर में रंगपंचमी अनोखे ढंग से मनाई जाती है। जो मैंने सुना और पढ़ा, उससे अहसास हो रहा है कि गेर को विश्व धरोहर में शामिल किया जा सकता है क्योंकि ऐसा आयोजन देश में कहीं नहीं होता। इसके लिए तीन तरह से प्रयास करना होंगे।
पहला : इमेज बिल्डिंग
गेर के इतिहास को विस्तार से तलाश कर इसे प्रमोट किया जाए।
दूसरा: टीम बिल्डिंग
प्रशासन के सभी विभाग गेर को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ें।
तीसरा: ब्रांड बिल्डिंग
बाहर से आने वाले लोगों को जोड़कर गेर की ब्रांडिंग करें। सोशल मीडिया से आयोजन को दुनिया में प्रसिद्ध करें।
युवाओं को बताएंगे गेर का इतिहास
रंगपंचमी पर राजवाड़ा के सामने बने उद्यान में इंदौर टॉक अपने मित्रों के लिए बैठक कर रहा है। इसमें रंगपंचमी महोत्सव व गेर के इतिहास और इससे जुड़ी जानकारियों को साझा करेंगे। नई पीढ़ी को इस पुरानी संस्कृति के बारे में बताएंगे। इंदौर की रंगपंचमी से प्रेरित होकर ही देश के कई शहरों में कलर फेस्टिवल हो रहे हैं। गेर को वैश्विक धरोहर के रूप में शामिल करने की बात को लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चलाएंगे और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करेंगे।
- आशीष तिवारी, फाउंडर मेंबर, इंदौर टॉक ग्रुप
बनारस की सुबह की तरह दुनिया जाने इंदौर की गेर
होलकरकाल में फागुन आते ही राजवाड़े के दरबार हॉल में संगीत की स्वर लहरियों वाले आयोजन होते थे। इसमें विशिष्ट कलाकार जौहर दिखाते थे। दरबार हॉल में भी आयोजन होता था। इसमें अमृतसर की गायिका वजीर बेगम, बेटी नृत्यांगना मुमताज के अलावा जयपुर घराने की हरद्वारी बाई भी प्रस्तुति देती थीं। गेर को वैश्विक धरोहर में शुमार कराने का प्रयास सराहनीय है। जैसे बनारस की सुबह व अवध की शाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उस तरह इंदौर की गेर को भी पूरी दुनिया जानेगी।
- प्रवीण श्रीवास्तव, रिटायर्ड केमिस्ट, पुरातत्व विभाग
प्रशासन संभाले कमान
प्रशासन को अनंत चौदस की तरह गेर की व्यवस्था भी संभालना चाहिए। यह समरसता का त्योहार है। इसका स्वरूप ऐसा होना चाहिए कि व्यक्ति बगैर किसी हिचक के परिवार के साथ शामिल हो सके। 1937 से 1963 तक इतवारिया बाजार, लोधीपुरा और शकर बाजार क्षेत्र निवास व बड़ा सराफा क्षेत्र में दफ्तर होने से इस परंपरा को देखने व हिस्सा बनने का मौका मिला। इसे विश्व धरोहर में शामिल किया जाता है तो यह हर इंदौरी के लिए सम्मान की बात होगी।
-सीताराम सराफ, सीनियर एडवोकेट